ब्रिटेन में ऑपरेशन के दौरान महिला सर्जनों का यौन उत्पीड़न
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एनएचएस में काम करने वाली महिला सर्जनों में उन महिलाओं की बड़ी संख्या है जिन्होंने यौन उत्पीड़न झेला है. महिला सर्जनों के साथ सर्जरी के दौरान उत्पीड़न करने की बातें सामने आ रही हैं.ब्रिटेन के एनएचएस में महिला सर्जनों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है. "सर्जरी के लिए #MeToo आंदोलन" के नाम से ब्रिटिश जर्नल ऑफ सर्जरी ने अपने एक सर्वेक्षण के परिणाम सार्वजनिक किए हैं. सर्वेक्षण के लिए 1,434 महिला सर्जनों का इंटरव्यू लिया गया. रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि वरिष्ठ पुरुष सर्जनों का महिला सर्जन के साथ दुर्व्यवहार करने की एक प्रवृत्ति है, और यह हमेशा से एनएचएस अस्पतालों में हो रहा है. रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन ने कहा कि सर्वेक्षण के निष्कर्ष "वास्तव में चौंकाने वाले" हैं. इस खबर के सामने आने के बाद ब्रिटेन की संसद ने जांच के लिए एक टीम गठित की है. महिला अधिकारोंके मामले में सजग रहे देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में इस तरह के आरोपों ने लोगों को बहुत हैरान किया है.

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सर्जरी के पेशे में गिरता विश्वास

जूडिथ ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी से अपने अनुभव के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि जब वह अपने सर्जन बनने के शुरुआती दौर में अस्पताल में काम कर रहीं थी तब उनके साथ ऐसी घटनाएं अक्सर हुआ करती थीं. खासकर तब जब वह ऑपरेटिंग थिएटर में सब से जूनियर हों.

"मैं पेशे में नई थी और ऑपरेशन चल रहा था. मेरे सीनियर पुरुष सर्जन को ऑपरेशन के वक्त काफी पसीना आ रहा था. इस बीच अचानक वह घूमा और अपना सिर सीधे मेरे स्तनों में दबा दिया और मुझे एहसास हुआ कि वह अपनी भौंहें पोंछ रहा था.” जब उसने दूसरी बार ऐसा किया तो जूडिथ ने पूछा कि क्या वो उन्हें तौलिया ला दे? "तब वह मुस्कुराते हुए बोला कि नहीं यह ज्यादा मजेदार है. मुझे बहुत गंदा और अपमानजनक महसूस हुआ.”

सर्वेक्षण के मुताबिक 63 प्रतिशत महिला सर्जन यौन उत्पीड़न का शिकार रह चुकीं हैं. करीब 30 प्रतिशत महिला सर्जन के साथ ऐसी हरकत उनके सहकर्मी ने की. करीब 11 फीसदी महिला सर्जन के साथ कैरियर के अवसरों से संबंधित जबरन शारीरिक संपर्क की कोशिश जताई गई. सर्वेक्षण में 11 बलात्कार के मामले भी सामने आए.

सर्वेक्षण में एक बड़ी बात को नोट किया गया है. सर्जिकल कार्यबल में महिलाएं और पुरुष अलग-अलग वास्तविकताओं को जी रहे हैं. सहकर्मियों के आसपास रहने पर, महिलाएं में पुरुषों की तुलना में यौन दुराचार का शिकार होने की दर ज्यादा है. इसके अलावा, परिणाम दिखाते हैं कि इन मुद्दों से निपटने में प्रमुख नियामक संस्थाएं और जवाबदेह संगठनों की काबिलियत में विश्वास की व्यापक कमी है. कुल मिलाकर, यह एनएचएस और व्यापक सर्जिकल कार्यबल के भीतर एक गंभीर मुद्दे को दिखाता है, जिसका रोगी की सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है.

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कार्यस्थल की सीमाएं

बीबीसी से महिला सर्जन ने कई अनुभव साझा किए हैं. उनका कहना है कि कई बार सीनियर पुरुष और महिलाएं ऐसी हरकतों को होते हुए देखते हैं मगर कुछ नहीं बोलते. ऐसे व्यवहार से यौन उत्पीड़न की हरकतें आम होती जा रहीं हैं. सर्वेक्षण में भी यह बात देखी गई कि ज्यादातर लोगों ने ऐसी हरकतें होते हुए देखी हैं.

ब्रिटेन में इस तरह के यौन उत्पीड़न की खबरें नई नहीं हैं. मई 2023 में भी ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की एक रिपोर्ट ने बताया गया था कि 2017 से 2022 के बीच एनएचएस के अस्पतालों में 35,000 यौन दुराचार या यौन हिंसा के मामलों सामने आए.

इसी महीने आई कैंब्रिज विश्वविद्यालय की रिसर्च के मुताबिक हर तीन में से बस एक डॉक्टर ही किसी तरह के यौन दुराचार झेले बिना अपनी पढ़ाई खत्म कर पाते हैं. इस रिसर्च में पाया गया कि ब्रिटेन में मेडिकल की पढ़ाई कराने वाले 34 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में से 16 में "कोई प्रशिक्षण नहीं" था जो सीधे तौर पर यौन दुराचार के मामलों से निबटता हो.

जनरल मेडिकल काउंसिल (जीएमसी) ने हाल ही में अपनी आचार संहिता में सुधार किया है और पहली बार यौन उत्पीड़न के प्रति शून्य-सहिष्णुता का भाव रखने की बात कही है. हालांकि कैंब्रिज विश्वविद्यालय की डॉ. स्टील का कहना है कि "यह नहीं माना जा सकता है कि जो स्नातक जूनियर डॉक्टर के रूप में काम कर रहे हैं, उन्होंने यौन दुराचार के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त किया है या उन्हें ये बातें पता हैं.”

ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, नए डॉक्टर सिर्फ 15 यूरो प्रति घंटे कमाते हैं. जो कि एक कॉफी शॉप के मैनेजर को मिलने वाले पैसे से भी कम है. 2008 से जूनियर डॉक्टरों के वेतन में करीब 26% की कटौती की गई है.