Japan Population Crisis: गिरते जन्म दर के कारण दुनिया से विलुप्त हो सकता है जापान! विशेषज्ञों को अंधेरे में नजर आ रहा भविष्य

जापान में जन्म दर ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गई. प्रोफेसर हिरोशी योशिदा ने चेतावनी दी कि अगर यह स्थिति जारी रही, तो जापान दुनिया का पहला देश बन सकता है, जो कम जन्म दर के कारण समाप्त हो जाएगा.

जापान, जो पहले एशिया की आर्थिक महाशक्ति और दुनिया के प्रमुख तकनीकी देशों में से एक था, अब एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है. यह संकट देश की गिरती जन्म दर और बढ़ती वृद्ध जनसंख्या से जुड़ा हुआ है. जापान में जन्म दर एक और खतरनाक स्तर तक गिर गई, और विशेषज्ञ अब इसे देश के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा मानने लगे हैं. इस हालत में, जापान का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है.

जापान के प्रोफेसर हिरोशी योशिदा ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो जापान शायद दुनिया का पहला देश बन सकता है, जो कम जन्म दर के कारण पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा. उनका कहना है कि देश की जनसंख्या में हो रही गिरावट और बढ़ती वृद्ध जनसंख्या इस संकट का मुख्य कारण है.

जन्म दर में ऐतिहासिक गिरावट

2023 में जापान में कुल 727,277 जन्म हुए, जो किसी भी समय में सबसे कम आंकड़ा है. इस आंकड़े को देखकर यह स्पष्ट हो गया कि जापान की जनसंख्या में गिरावट आ रही है, और यह गिरावट हर साल और अधिक गंभीर हो रही है. सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में जापान में मौतों की संख्या 1,575,936 रही, जो एक रिकॉर्ड है. इसके परिणामस्वरूप, प्राकृतिक जनसंख्या में कमी हुई, जो 848,659 के आंकड़े तक पहुंच गई. यह स्थिति जापान के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है.

जन्म दर का गिरना और इसके प्रभाव

जापान का जन्म दर 1.20 के स्तर पर पहुंच गई है, जो 1947 से रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों के अनुसार सबसे कम है. इसका मतलब यह है कि औसतन, एक महिला अपने जीवनकाल में केवल 1.20 बच्चे पैदा कर रही है. इस आंकड़े के अनुसार, जापान में जनसंख्या की गिरावट इस तरह से हो रही है कि आने वाले वर्षों में इसका असर देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर होगा. जन्म दर में गिरावट का सीधा असर कार्यबल पर पड़ेगा, जिससे रोजगार की कमी, आर्थिक मंदी और वृद्ध जनसंख्या की देखभाल की समस्या उत्पन्न हो सकती है.

2024 में जन्मों की संख्या और भी घटेगी

2024 में, जापान में जन्मों की संख्या 700,000 से भी कम हो सकती है, जो कि इस देश के इतिहास में पहली बार होगा. यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो यह देश के भविष्य के लिए और भी अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है. जापान की वर्तमान जनसंख्या 123.7 मिलियन है, जो 2008 में 128 मिलियन तक पहुंची थी, लेकिन अब यह घट रही है. इस गिरावट के कारण, जापान को कई सामाजिक और आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ेगा, जैसे कि श्रमिकों की कमी, वृद्ध जनसंख्या की बढ़ती संख्या और सार्वजनिक सेवाओं पर बढ़ता दबाव.

सरकार की कोशिशें और नीतियां

सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं. जापान में अब तक कई नीतियाँ और उपाय लागू किए गए हैं, जिनमें विवाह, डेटिंग और परिवारों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए हैं. उदाहरण के तौर पर, टोक्यो मेट्रोपॉलिटन सरकार ने 2024 में एक नया डेटिंग ऐप लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य विवाह को बढ़ावा देना है. इस ऐप के जरिए उपयोगकर्ताओं को अपने एकल होने का प्रमाण पत्र और सालाना आय का टैक्स स्लिप सबमिट करना होता है, ताकि उन्हें शादी के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

इसके अलावा, सरकार ने कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देने, सस्ता डेकेयर उपलब्ध कराने और लिंग समानता पर जोर देने की नीतियाँ बनाई हैं. लेकिन इन उपायों के बावजूद, जन्म दर में सुधार लाने में सरकार को संघर्ष करना पड़ रहा है.

इमिग्रेशन पर जापान का रुख

इमिग्रेशन के मामले में जापान का रुख बहुत ही कठोर रहा है. 1952 में युद्ध के बाद के कब्जे से स्वतंत्र होने के बाद, जापान ने अपनी इमिग्रेशन नीतियों को कड़ा कर लिया था. हालांकि, पिछले कुछ दशकों में श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए देश में विदेशी कामकाजी लोगों की संख्या बढ़ी है. हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जापान में विदेशी निवासियों की संख्या 3 मिलियन को पार कर गई है, जो अब कुल जनसंख्या का 2.66 प्रतिशत बन चुकी है. बावजूद इसके, इमिग्रेशन को लेकर जापान में अभी भी कोई स्थायी समाधान नहीं है, और यह मुद्दा समाज में एक गंभीर बहस का कारण बन गया है.

भविष्य की चुनौतियां

यदि जापान में यह गिरावट जारी रहती है, तो भविष्य में देश को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. वृद्ध जनसंख्या की बढ़ती संख्या के कारण स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन और सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव बढ़ेगा. इसके अलावा, श्रमिकों की कमी के कारण अर्थव्यवस्था में भी सुस्ती आ सकती है, और देश की सामाजिक संरचना पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है.

इस प्रकार, जापान का जन्म दर संकट केवल एक जनसांख्यिकीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक ढांचे के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन चुका है. सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने की आवश्यकता है, ताकि जापान का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध बना रहे.

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