जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, हेलीकॉप्टर पायलट ने सच साबित की यह बात, 4 दिन तक सिर्फ बर्फ खाकर बचाई जान
रूस के सर्वाधिक ठंडे क्षेत्रों में एक स्थान पर हेलीकॉप्टर पायलट भोजन और पानी के बिना बर्फीले पहाड़ पर चार दिन जीवित रहा. इन चारों दिनों में पायलट सिर्फ बर्फ खाकर जीता रहा, इस दौरान उसने क्रैश हुए हेलीकॉप्टर के मलबे के पास पुशअप्स किए और लगातार जिंदगी की लड़ाई लड़ता रहा.
रूस के सर्वाधिक ठंडे क्षेत्रों में एक स्थान पर हेलीकॉप्टर पायलट भोजन और पानी के बिना बर्फीले पहाड़ पर चार दिन जीवित रहा. इन चारों दिनों में पायलट सिर्फ बर्फ खाकर जीता रहा, इस दौरान उसने क्रैश हुए हेलीकॉप्टर के मलबे के पास पुशअप्स किए पायलट के पास सिर्फ एक पतली जैकेट थी, पर अपनी मनोशक्ति के बल पर वह 4 दिन तक जिंदगी के लड़ाई लड़ता रहा. जिसमें वह सफल भी हुआ.
अलेक्जेंडर नोवोसेल्टसेव रूस के उत्तर पुर्व में एक शहर Saknekolymsk, से गणराज्य की राजधानी Yakutsk तक अपने रॉबिन्सन हेलीकॉप्टर से उड़ान भर रहा था. यह जगह रूस की सबसे अधिक ठंडी जगहों में शामिल हैं और यहीं एक बर्फीले पहाड़ पर टकराकर नोवोसेल्टसेव का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया.
नोवोसेल्टसेव अपनी यात्रा के बीच पड़ाव में ही था कि उसका विमान उस जगह से गुजरा जिसे की डेथ ट्रैप के नाम से जाना जाता है, और यहीं उनका हेलीकॉप्टर भी क्रैश हुआ. नोवोसेल्टसेव ने तुरंत एक एसओएस संकेत भेजा. "मेरे कपड़े पतले हैं, मैं जम रहा हूं, घाटी संकीर्ण है. नोवोसेल्टसेव ने साथ ही अपने एमआई -8 [हेलीकॉप्टर] के लोकेशन को भी साझा किया और कहा कि परिस्थितियां पूरी तरह प्रतिकूल हैं, और तापमान भी -5 डिग्री से कम है.
संदेश प्राप्त होने के तुरंत बाद बचाव दल को भेजा गया था, लेकिन खराब प्रयासों से उनके प्रयास बाधित थे. दुर्घटना 2 9 सितंबर को हुई, और खराब मौसम के कारण इस में और मुश्किलें बढ़ती जा रही थी. 2 अक्टूबर तक बचाव दल वहां पहुंचने में असफल रहा, साथ-साथ बचाव दल पायलट के जीवित होने की उम्मीदें भी खोता जा रहा था. हालांकि बचाव दल ने मिशन को सफल बनाने में पूरी जी-जान इस मिशन में लगा दी.
3 अक्टूबर को बचाव दल ने पायलट के जीवित होने की पुष्टि की. बचाव दल ने बताया के पायलट मदद के इंतजार में था, उसके पास सिर्फ एक पतली जैकेट थी, और वह सिर्फ बर्फ खाकर और अपनी मनोशक्ति के दम पर जीवित था.