डोनाल्ड ट्रंप ने फिर अलापा कश्मीर राग, कहा- अगर भारत चाहें तो मध्यस्थता के लिए तैयार, दोनों देश साथ आ सकते हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को एक बार फिर कश्मीर मध्यस्थता का राग छेड़ा है. ट्रंप ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए अगर भारत और पाकिस्तान सहमति देते है तो वह मध्यस्थता कर सकते है. उन्होंने कहा कि ये दोनों देशों पर निर्भर करता है कि, वह दशकों पुराने मुद्दे को हल करने में मदद चाहते है.
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने गुरुवार को एक बार फिर कश्मीर मध्यस्थता (Kashmir Mediation) का राग छेड़ा है. ट्रंप ने कहा कि कश्मीर (Kashmir) मुद्दे को सुलझाने के लिए अगर भारत और पाकिस्तान (Pakistan) सहमति देते है तो वह मध्यस्थता कर सकते है. उन्होंने कहा कि ये दोनों देशों पर निर्भर करता है कि, वह दशकों पुराने मुद्दे को हल करने में मदद चाहते है.
ट्रंप पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपने पिछले सप्ताह की बैठक का उल्लेख कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में मदद करने की पेशकश की थी. हालांकि भारत ने पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्यस्थता वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जबकि पाकिस्तान ने इसके लिए ट्रंप की तारीफ की थी.
कश्मीर पर मध्यस्थता की उनकी पेशकश को भारत की ओर से खारिज किए जाने पर पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा “यह वास्तव में पीएम मोदी पर निर्भर है. और मैं प्रधान मंत्री खान से मिला, मुझे बहुत अच्छा लगा. मुझे लगता है कि वे (खान और मोदी) एक शानदार व्यक्ति हैं, मेरा मतलब है कि वे बहुत अच्छी तरह से मिल सकते हैं.”
गौरतलब हो कि 22 जुलाई को अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह बयान देकर दुनिया को स्तब्ध कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर मामले को सुलझाने में उनकी मदद मांगी थी. ट्रंप के इस बयान के तुरंत बाद भारत ने इसे खारिज करते हुये कहा कि मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया और कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है.
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जिसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात को सिरे से खारिज किया है कि मोदी ने ट्रंप से इस प्रकार का कभी कोई अनुरोध किया है. हालांकि ट्रंप के बयान के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी भूल सुधारने की कोशिश करते हुए कहा कि वह कश्मीर को भारत एवं पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानता है और वह तभी मदद के लिए तैयार होगा, जब दोनों देश चाहेंगे.