Traffic Jam in Space: क्या पृथ्वी तक नहीं पहुंचेगी सूरज की रोशनी? अंतरिक्ष में 'ट्रैफिक जाम' धरती के लिए बड़ा खतरा

धरती से ऊपर अंतरिक्ष में एक ऐसा खतरा मंडरा रहा है जो आने वाले समय में हमारे लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन सकता है. दरअसल अंतरिक्ष में ट्रैफिक जाम हो गया है. अंतरिक्ष में बढ़ते मलबे और सैटेलाइट्स की भीड़ ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है.

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Traffic Jam in Space: धरती से ऊपर अंतरिक्ष में एक ऐसा खतरा मंडरा रहा है जो आने वाले समय में हमारे लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन सकता है. दरअसल अंतरिक्ष में ट्रैफिक जाम हो गया है. अंतरिक्ष में बढ़ते मलबे और सैटेलाइट्स की भीड़ ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. NASA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने इसे लेकर गंभीर चेतावनी दी है. धरती की निचली कक्षा यानी लोअर अर्थ ऑर्बिट (Lower Earth Orbit - LEO) कुछ दिन में जाम हो जाएगी. सूरज की रोशनी भी फिल्टर हो कर आएगी. या हो सकता है सूरज की रोशनी आए ही न. इस खतरे को भांपते हुए हमारे वैज्ञानिक बेहद चिंतित हैं, क्योंकि अंतरिक्ष में लगने जा रहा ट्रैफिक जाम इस धरती पर सूरज की रोशनी आने से रोकने वाला है.

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क्या है अंतरिक्ष का ट्रैफिक जाम?

लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) यानी पृथ्वी से 100 से 1000 किलोमीटर की ऊंचाई पर सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष मलबे का ऐसा जमावड़ा हो गया है कि इसे "स्पेस का कबाड़खाना" कहा जा रहा है. 14,000 से अधिक सैटेलाइट्स पृथ्वी के चारों ओर घूम रही हैं, लेकिन इनमें से केवल 3,500 ही काम कर रही हैं.

लगभग 120 मिलियन छोटे-बड़े मलबे के टुकड़े अंतरिक्ष में तैर रहे हैं. इसमें रॉकेट के हिस्से, खराब सैटेलाइट्स, और छोटे-छोटे पेंट के टुकड़े शामिल हैं. इन मलबों की तेज गति (18,000 मील प्रति घंटा) से न केवल अंतरिक्ष मिशन प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि पृथ्वी पर भी खतरा बढ़ रहा है.

क्या होगा सूरज की रोशनी पर असर?

LEO में बढ़ते ट्रैफिक और मलबे की वजह से वैज्ञानिकों को आशंका है कि सूरज की रोशनी बाधित हो सकती है. अगर मलबे और सैटेलाइट्स की संख्या इसी तरह बढ़ती रही, तो यह पृथ्वी तक पहुंचने वाली सूरज की रोशनी में बाधा डाल सकता है.

रॉकेट लॉन्चिंग में समस्या: इतना ट्रैफिक होने के कारण नई रॉकेट लॉन्चिंग और मिशन को लो अर्थ ऑर्बिट से आगे ले जाना मुश्किल हो सकता है.

अंतरिक्ष का यह खतरा क्यों है गंभीर?

तेज रफ्तार मलबा: यह मलबा 18,000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से घूमता है, जो किसी भी अंतरिक्ष यान, सैटेलाइट या स्टेशन के लिए घातक हो सकता है.

सुरक्षा जोखिम: LEO में किसी भी दुर्घटना से मलबे की मात्रा और बढ़ सकती है, जिसे केसल सिंड्रोम कहा जाता है.

धरती पर प्रभाव: अंतरिक्ष मलबा धरती पर भी गिर सकता है, जिससे जनहानि का खतरा है.

अंतरिक्ष की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के अंतरिक्ष ट्रैफिक प्रबंधन समूह ने देशों से अपील की है कि वे जिम्मेदारी से सैटेलाइट लॉन्च करें. तकनीकी कंपनियां ऐसी सैटेलाइट्स बना रही हैं जो अपने मिशन के बाद खुद-ब-खुद नष्ट हो जाएं.

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स की निदेशक आरती होला-मैनी के मुताबिक, अंतरिक्ष में हमारी पृथ्वी के इर्द-गिर्द घूम रहे सैटेलाइट्स और जमा हुआ अंतरिक्ष का कचरा अगर साफ नहीं हुआ तो हमें इसके बुरे परिणाम देखने को मिलेंगे. भविष्य में ये सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष में जमा ये कचरा आपस में टकराएगा, जो काफी चिंता का विषय है. अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और ये कचरा जब आपस में टकराएगा तो इसके अवशेष धरती पर गिरेंगे. वहीं स्पेस मिशन के लिए भी इस बेल्ट को पार करना होगा. इस कारण स्पेसक्राफ्ट और मानवीय मिशन पर भी खतरा मंडरा रहा है. अगर इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं किया गया तो कोई बड़ी मुसीबत आ सकती है.

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