#MeToo: बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने किया अभियान का समर्थन

रियो ओलम्पिक-2016 में रजत पदक जीतने वाली भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने शोषण के मामले में सामने वाले तमाम किस्म के लोगों का समर्थन किया है

पीवी सिंधु (फ़ाइल फोटो)

नई दिल्ली: रियो ओलम्पिक-2016 में रजत पदक जीतने वाली भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने शोषण के मामले में सामने वाले तमाम किस्म के लोगों का समर्थन किया है लेकिन ज्वाला गुट्टा के उस बयान से किनारा किया है जिसमें उन्होंने एक कोच पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए थे. सिंधु ने वोडाफोन की महिलाओं के लिए तैयार की गई सर्विस 'सखी' के लांच कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, "मुझे खुशी है कि लोग आगे आए और इसके बारे में बात कर रहे हैं. मैं इसका सम्मान करती हूं."

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने खेल में इस तरह के मामले से वाकिफ हैं? तो उन्होंने कहा, "मैं सीनियर खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के बारे में नहीं जानती। जहां तक मेरी बात है तो मेरे लिए सब कुछ ठीक है."सिंधु की यह प्रतिक्रिया राष्ट्रमंडल खेल-2010 में महिला युगल में कांस्य पदक जीतने वाली ज्वाला गुट्टा के उस बयान पर आई है जिसमें उन्होंने एक कोच पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं. ज्वाला ने हालांकि उनका नाम नहीं लिया था.

ज्वाला ने लिखा था, "शायद मुझे उस मानसिक प्रताडना के बारे में बात करनी चाहिए जिससे मैं गुजरी हूं. 2006 से वह शख्स मुखिया बन गए हैं.. उन्होंने मुझे नेशनल चैम्पियन होने के बाद भी राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया था. एक ताजा मामला तब का है जब मैं रियो से वापस लौटी थी. मैं एक बार फिर राष्ट्रीय टीम से बाहर हो गई थी। यही एक कारण है कि मैंने खेलना बंद कर दिया."

उन्होंने कहा, "लेकिन जब वह शख्स मुझे परेशान नहीं कर सके तो उन्होंने मेरे साथियों को डराया, उन्हें प्रताड़ित किया.. और सुनिश्चित किया कि वह मुझे हर तरह से अकेला कर दें.. रियो के बाद.. जिसके साथ मैं मिश्रित युगल का मैच खेलने वाली थी उसे भी डराया गया और मुझे टीम से बाहर कर दिया गया."

सिंधु ने 'सखी' सर्विस की तारीफ करते हुए कहा, "यह शानदार पहल है. जब हम महिलाओं की बात करते हैं तो वह रात में बाहर जाने, देर रात तक काम करने और अपने सपनों के पीछे भागने से डरती हैं. यह अच्छी बात है कि वोडाफोन सखी इस तरह की आपातकालनी सेवा लेकर आया है."उन्होंने कहा, "देश में अब काफी बदलाव हो रहे हैं।. हम महिलाओं को बहादुर होने की जरूरत है. हम अपने सपने सच कर सकती हैं और हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं है."

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