छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि "केवल इसलिए कि पीड़िता अनुसूचित जनजाति समुदाय की सदस्य थी, यह नहीं माना जा सकता है कि अपीलकर्ता उसका यौन शोषण करने के लिए उसकी इच्छा पर हावी होने में सक्षम था. कोर्ट ने कहा क अपीलकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप बहुत अस्पष्ट हैं."
न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने केवल एक निष्कर्ष दर्ज किया कि अपीलकर्ता द्वारा पीड़िता पर आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार का अपराध किया गया है और उसके बाद, यह माना गया कि अधिनियम की धारा 3(1)(xii) के तहत अपराध किया गया है. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पीड़िता एसटी समुदाय की सदस्य थी.
Can’t Assume Accused Dominated Victim To Sexually Exploit Her Merely Because She Belongs To ST Community: Chhattisgarh High Court https://t.co/sLBDeV9KWL— Live Law (@LiveLawIndia) March 2, 2023
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