छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि "केवल इसलिए कि पीड़िता अनुसूचित जनजाति समुदाय की सदस्य थी, यह नहीं माना जा सकता है कि अपीलकर्ता उसका यौन शोषण करने के लिए उसकी इच्छा पर हावी होने में सक्षम था. कोर्ट ने कहा क अपीलकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप बहुत अस्पष्ट हैं."

न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने केवल एक निष्कर्ष दर्ज किया कि अपीलकर्ता द्वारा पीड़िता पर आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार का अपराध किया गया है और उसके बाद, यह माना गया कि अधिनियम की धारा 3(1)(xii) के तहत अपराध किया गया है. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पीड़िता एसटी समुदाय की सदस्य थी.

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)