यूपी: शादी नहीं फिर भी पूरे गांव का एक ससुराल, जानें क्या है यहां की परंपरा

जिस दो गांव की हम बात कर रहे है. उस दो गांव का नाम है नंदगांव और बरसाना. इस दोनों गांव के को लेकर गांव के बड़े बुजुर्ग बतातें हैं कि इस परंपरा के पीछ भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम है. इनके प्रेम को सम्मान देते हुए बरसाना गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी नंदगांव में नहीं करते हैं

नंदगांव और बरसाना (Photo Credits youtube)

लखनऊ: आज हम आपको उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के ऐसे दो प्रसिद्ध गांव के बारे में बताने जा रहा हूं. जहां पर शादी नहीं फिर भी पूरे गांव का एक ससुराल है. इस इस कहानी को सुनकर आप जरूर कुछ समय के लिए चौक जाएंगे. लेकिन आप चौकिएगा मत इसके बारे में कोई तो परंपरा जरूर जुड़ी है. दरअसल उत्तर प्रदेश के दो प्रसिद्ध गांव जिनका भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से संबंध रहा है उन दोनों गांवों में बड़े-बुजुर्गों को भी याद नहीं है कि कभी दोनों गांवों के बीच किसी लड़के लड़की की शादी हुई है. गांव के लोग बताते हैं कि करीब पांच हजार साल पुरानी परंपरा यहां आज भी जीवित है. परंपराओं के कारण लोग इस गांव से वैवाहिक संबंध नहीं जोड़ते जबकि दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे का भरपूर सम्मान करते हैं और ससुराल का नाता निभाते हैं.

जिस दो गांव की हम बात कर रहे हैं उस दो गांव का नाम है नंदगांव (Barsana) और बरसाना (Nandgaon). इस दोनों गांव के को लेकर गांव के बड़े बुजुर्ग बतातें हैं कि इस परंपरा के पीछ भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम है. इनके प्रेम को सम्मान देते हुए बरसाना गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी नंदगांव में नहीं करते हैं और नंदगांव के लोग अपने बेटों की शादी बरसाना में नहीं करते हैं. यह भी पढ़े: अजब देश की गजब परंपरा, यहां हर साल होती है इंसान के लिंग की पूजा

हर जाति के लोग इस धर्म को निभाते है

इस परंपरा को लेकर गांव के लोग बताते है कि नंदगांव और बरसाना की इस परंपरा को दोनों गांव के हर जाति धर्म के लोग निभाते हैं. बरसाना आज भी भगवान श्रीकृष्ण को अपना दामाद मानता है और नंदगांव को बेटी का ससुराल। यही वजह है कि बरसाना के बड़े-बुजुर्ग आज भी बेटी का ससुराल मानकर नंदगांव का पानी तक नहीं पीते। नंदगांव से आने वाले मेहमानों को बरसाना निवासी दामाद की तरह मानते हैं और घर से खाली हाथ विदा नहीं करते.

 नंदगांव के लोग बरसाने वालों को बहू का मायका वाले मानते हैं

सालों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर गांव के लोग बताते है कि नंदगांव के लोग भी बरसाने वालों को बहू का मायका वाले मानते हैं और उनका आदर सम्मान करते हैं. बरसानावासी मानाते है कि नंदगांव से श्रीकृष्ण ही इस गांव के एक दामाद हैं और वही हमेशा रहेगें, किसी और को इस गांव का दामाद बनाकर वह राधा कृष्ण के प्रेम को कम करना नहीं चाहते.

श्रीकृष्ण के प्रेम में आज भी दोनों गांव के लोग होली खेलते हैं

राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर आज भी बरसाना और नंदगांव के बीच लट्ठमार होली खेली जाती है.बरसाना गांव की गोपियां 16 ऋृंगार करके नंदगांव के गोपों को लट्ठ मारती हैं. बता दें कि यह राधा कृष्ण के उस प्रेम का प्रतीक है. जब नंदगांव के गोपों के साथ मिलकर श्रीकृष्ण बरसाना में गोपियों से होली खेलने पहुंचते हैं तो बरसाना की गोपियां प्रेम में पगे लट्ठ लेकर इन्हें मारती हैं और कान्हा बड़े आनंद से लट्ठ से बचाव करते हुए होली खतते हैं.

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