पिता ने बेटी को बनाया हवस का शिकार, बच्ची भी हुई मगर फिर...

विश्व भर में कड़े गर्भपात कानूनों को लेकर भले ही कैंपेन चलाए जा रहे हों और कुछ देशों में बदलाव भी हुए हों लेकिन अभी भी कुछ ऐसे देश हैं जहां कड़े गर्भपात कानून की वजह से महिलाओं को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: File Photo)

विश्व भर में कड़े गर्भपात कानूनों को लेकर भले ही कैंपेन चलाए जा रहे हों और कुछ देशों में बदलाव भी हुए हों लेकिन अभी भी कुछ ऐसे देश हैं जहां कड़े गर्भपात कानून की वजह से महिलाओं को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है. जी हां एल सैल्वाडोर में एक रेप पीड़िता को हत्या करने की कोशिश के आरोप में 20 साल की जेल की सजा हो सकती है. कार्टेज के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की सुनवाई सोमवार को शुरू हो गई है. रेप पीड़िता इमेल्डा कॉर्टेज ने एल सैल्वाडोर में एक टॉयलेट में बच्चे को जन्म दिया था. सैमन मिग्युल के एक गांव में रहने वाली कॉर्टेज की उम्र 20 साल है और वह बेबी गर्ल को जन्म देने के बाद से ही अप्रैल 2017 से कस्टडी में हैं.

12 वर्ष की उम्र से ही कॉर्टेज के सौतेले पिता उसका यौन उत्पीड़न कर रहे थे. कार्टेज ने कहा, उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह प्रेग्नेंट है. बच्चा तो बच गया लेकिन कॉर्टेज को हत्या की कोशिश का आरोपी बना दिया गया. हॉस्पिटल में एक सप्ताह रहने के बाद उसे जेल भेज दिया गया और उसे बेल भी नहीं दी गई. कॉर्टेज की वकील मारिया डेलियान ने कहा, 'किसी महिला के खिलाफ ऐसा भयानक अन्याय मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखा है. सरकार ने लगातार इमेल्डा के पीड़ित होने के अधिकारों का उल्लंघन किया है. वह सदमे में हैं लेकिन उसे किसी भी तरह की मनोवैज्ञानिक मदद नहीं दी जा रही है. यह भी पढ़ें- घर पर नहीं मिली प्रेमिका तो प्रेमी ने उसकी 4 साल की बच्ची से किया रेप और गला घोंटकर उतारा मौत के घाट

एल सैल्वाडोर में किसी भी सूरत में गर्भपात कराना गैरकानूनी है. गर्भपात पर पूर्ण प्रतिबंध की वजह से बहुत सी महिलाएं उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं. जब कार्टेज हॉस्पिटल में थीं तो उसके सौतेले पिता ने वहां जाकर उसे, उसके भाई-बहनों और मां को जान से मारने की धमकी दी लेकिन वहीं पर मौजूद दूसरी नर्स ने ये बातें सुन लीं और पुलिस को सूचना दी. कार्टेज को 18 महीने तक हिरासत में रखे जाने के दौरान उसे कभी किसी तरह की मनोवैज्ञानिक मदद नहीं दी गई. यहां तक कि उसे एक बार भी अपनी बच्ची को गोद में लेने की भी अनुमति नहीं दी गई.

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