Kartik Purnima 2019: अगर बनना है धनवान, तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन जरुर करें यह काम
हिंदू धर्म में कई तरह की तीज-त्यौहार आर मान्यताएं है. उनमे से एक है कार्तिक पूर्णिमा. कार्तिक पूर्णिमा का शास्त्रों में बहुत महत्त्व हैं. यह महिना कार्तिक मास का अंतिम दिन होता है. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है और लोग इस दिन पूजा-पाठ, स्नान, कई तरह के दानपुण्य जैसे धार्मिक कार्यों को करने से व्यक्ति को कई फलों की प्राप्ति होती है.
Kartik Purnima 2019 हिंदू धर्म में कई तरह की तीज-त्यौहार आर मान्यताएं है. उनमें से एक है कार्तिक पूर्णिमा. कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) का शास्त्रों में बहुत महत्त्व हैं. यह कार्तिक मास का अंतिम दिन होता है. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है और लोग इस दिन पूजा-पाठ, स्नान, कई तरह के दानपुण्य जैसे धार्मिक कार्यों को करने से व्यक्ति को कई फलों की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा के इस दिन नदी किनारे दीप जलाया जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के कृपा का पात्र बनते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) की पूजा पुरे विधि-विधान से की जाती है.
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) ने त्रिपुरासुर नामक राक्षक का वध किया था और इसी दिन भगवान शिव के दर्शन करने से व्यक्ति सात जन्मों तक ज्ञानी और धनवान होता है. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से पुण्यफलों की प्राप्ति होती है. इस दिन किए गए दान का पुण्य फल न सिर्फ दान करने वाले व्यक्ति को बल्कि उसके पूर्वजों को भी प्राप्त होता है. अगर आप अपने संपत्ति को बनाए रखना चाहते है या धनवान होना चाहते हैं तो इन उपायों को जरुर करें.
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कार्तिक पूर्णिमा की पूजा के पहले घरों की साफ-सफाई करें और अच्छे से उसकी सजावट करें. इससे देवी लक्ष्मी का आगमन होता है. घर के द्वार को फूलों से सजाएं और दरवाजे पर स्वास्तिक बनाएं. इन सबके बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पुरे विधि के अनुसार पूजा-आरती करें. कार्तिक पूर्णिमा के दिन चांद जरुर देखें और उसे मिश्री या खीर का भोग लगाएं.
इस दिन दीपदान या गो दान करना चाहिए. इससे घर की सभी तकलीफें दूर होती हैं और सुख-समृधि का वास होता है. अगर आप किसी कारण दान नहीं कर पातें हैं तो किसी भी मंदिर में जाकर दीप-दान कर सकते हैं या चावल, शक्कर और दूध का दान करें. अगर आप सक्षम नहीं हैं तो इन्हें नदी में बहा दें इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.