Lata Mangeshkar’s 95th Jayanti 2024: सिंगिंग के अलावा लता मंगेशकर का एक यह शौक भी था!
लता मंगेशकर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उनका नाम ही उनके पेशे का ब्रांड बन चुका है. कड़े परिश्रम और सघन संघर्ष के बाद ही वह कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर से लता मंगेशकर बन सकी हैं. एक अनुमान और विभिन्न सूत्रों के अनुसार लता मंगेशकर ने 20 से ज्यादा भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाये हैं.
लता मंगेशकर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उनका नाम ही उनके पेशे का ब्रांड बन चुका है. कड़े परिश्रम और सघन संघर्ष के बाद ही वह कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर से लता मंगेशकर बन सकी हैं. एक अनुमान और विभिन्न सूत्रों के अनुसार लता मंगेशकर ने 20 से ज्यादा भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाये हैं. लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ था. पिता शास्त्रीय गायक और रंगमंच कलाकार थे, माँ शीवंती मंगेशकर थीं. लता मंगेशकर को गायिका को सुरों की मल्लिका, अथवा कोकिला कंठी के नाम से सारी दुनिया जानती है, लेकिन कम लोग भिज्ञ होंगे कि उन्हें फोटोग्राफी का भी बहुत शौक था. उनकी 95वीं वर्षगांठ पर आज हम उनके इसी शौक के बारे में बात करेंगे.
शौक फोटोग्राफी का
गायकी के अलावा लता मंगेशकर को उच्च क्वालिटी का कैमरा रखने और खूबसूरत लम्हों को कैमरे में कैद करने का बहुत शौक था. उनके पास कैमरे और लेंस सहित अत्याधुनिक फोटोग्राफी का अच्छा कलेक्शन था. यहां बता दें कि बचपन में लता मंगेशकर का चित्रकला के प्रति विशेष रुझान था, संभवत उनके मन में फोटोग्राफी का शौक वहीं से जन्मा था. इसी शौकी की पूर्ति के लिए साल 1946 में उन्होंने दो हजार रूपये में रोली फ्लेक्स कैमरा खरीदा था. वह अपने साथ कैमरा अवश्य रखती थीं. स्टूडियो में साजिंदों की, रिकॉर्डिंग रूम तथा प्रकृति की सुंदरता को अपने कैमरे में कैद करने का मौका वह नहीं चूकती थीं. यह भी पढ़ें : Indira Ekadashi 2024: श्राद्ध पक्ष की इंदिरा एकादशी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
शौक नहीं गहरा ज्ञान भी था फोटोग्राफी का
फोटोग्राफी के दौरान लता मंगेशकर जिस तरह नेचुरल लाइट्स और शेडो का इस्तेमाल करती थीं, यह उनकी फोटोग्राफी के प्रति गहरी सोच और समझ को दर्शाता है. उन्हें कैमरे, लेंस, फिल्म एवं प्रकाश व्यवस्था की अद्भुत जानकारी थी. ऐसी कई तस्वीरें आज भी आवास पर देखी जा सकती है. यात्रा के दौरान वह अपने आसपास की रोजमर्रा की जिंदगी को कमरे में अवश्य कैद करती थीं. फुरसत के पलों में अक्सर वह अपने सहकर्मियों के साथ फोटो शूट के लिए निकल जाती थीं. विदेश ट्रुप के दरम्यान अपने जानकार सहकर्मियों के साथ फोटोग्राफी के सूक्ष्म विवरणों पर भी चर्चा करती थीं.
यहां बता दें कि लता जी को ऑटोमेटिक कैमरा कभी पसंद नहीं था, जिसे कोई भी, कहीं भी आसानी से इस्तेमाल कर ले. लंदन प्रवास के दौरान लता जी ने एक बार तेज गति से भागती कार से बाहर के नजारे को कैमरे में कैद किया था. उसका रिजल्ट देखकर कोई भी नहीं मानेगा कि पूरे दिन रिकॉर्डिंग रूम में गुजारने वाली लता मंगेशकर इतनी उच्च कोटि की फोटोग्राफी भी कर सकती हैं.