War Against Virus: कोविड से जंग में बाकी देशों की मदद को तैयार भारत
वैश्विक स्वास्थ्य और विदेश नीति पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं बैठक में साफ कहा है कि कोविड-19 महामारी से लड़ने में वो बाकी देशों की मदद के लिए भी तैयार है.
भारत, 9 दिसंबर : वैश्विक स्वास्थ्य(Global health)और विदेश नीति(Foreign Policy) पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं बैठक में साफ कहा है कि कोविड-19 महामारी से लड़ने में वो बाकी देशों की मदद के लिए भी तैयार है. भारत ने कहा है कि महामारी को रोकने और सस्ती दरों पर वैक्सीन( vaccine) मुहैया कराने के कार्य को वो मिशन मोड में आगे ले जाने का कार्य कर रहा है.
भारत के प्रतिनिधि प्रतीक कुमार ने कहा, "स्वस्थ्य जीवन हर व्यक्ति का आधारभूत अधिकार है. आम लोगों को पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराने और इस अधिकारी को जीने में उनकी मदद करने का दायित्व सभी देशों की सरकारों का है. हम इंडोनेशिया का धन्यवाद करना चाहेंगे, जहां पर आम लोगों को उचित कीमत पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का संकल्प लिया गया है."
उन्होंने आगे कहा, "स्वास्थ्य का मतलब केवल बीमारियों से स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि यह पूर्ण रूप से तंदुरुस्त रहना है. भारत ने एक समग्रतात्मक दृष्टिकोण के साथ इस विषय को उठाया है, जो कि स्वास्थ्य सेवाओं के चार स्तंभों पर आधारित है. पहला स्तंभ- प्रिवेंटिव हेल्थ केयर है, जिसके अंतर्गत हम योग, आयुर्वेद और फिटनेस पर जोर दे रहे हैं. इसका मुख्य लक्ष्य मधुमेह, रक्तचाप, तनाव और डिप्रेशन जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने का है. साथ ही लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर है."
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14 मिलियन (14 million) लोगों को मिला राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना का लाभ :
प्रतीक कुमार ने कहा कि दूसरा स्तंभ उचित एवं सस्ती दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना है. भारत ने सितम्बर 2018 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना को लॉन्च किया, जिसके अंतर्गत गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस(Health insurance) मुहैया कराने के साथ-साथ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जा रही हैं. देश में डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर सक्रिय हैं. 4 दिसंबर 2020 तक इस योजना से 24,608 अस्पताल इस योजना के तहत जुड़ चुके हैं. इनमें से आधे से अधिक निजि अस्पताल हैं.
126 मिलियन हेल्थ कार्ड(126 million health cards) जारी किए गए, 14 मिलियन लोगों ने इस योजना के तहत इलाज करवाया. इस स्कीम के तहत 7 हजार डॉलन (5 लाख रुपए) प्रतिवर्ष का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है. करीब 100 मिलियन परिवार और 500 मिलियन लोग इसके दायरे में आ चुके हैं. इसके तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में कैशलेस ट्रीटमेंट(Cashless treatment) मुहैया कराया जाता है. सरकार ने देश भर में 6700 फार्मेसी खोली हैं, जहां जैनेरिक दवाएं मिलती हैं. हृदय रोगियों के इलाज की कीमत 80 प्रतिशत तक कम हो गई है, जबकि घुटनों के ट्रांसप्लांट की कीमत में 50 से 70 फीसदी तक कमी आयी है. किडनी के लाखों मरीजों को मुफ्त डाइलिसिस मुहैया करायी जा रही है.
तीसरा स्तंभ है गुणवत्तापरक मेडिकल एजुकेशन और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर. चौथा स्तंभ विभिन्न लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मिशन मोड पर काम करना है. हमने राष्ट्रीय न्यूट्रीशन नीति की शुरुआत की. इसके अलावा देश में 2030 तक ट्यूबरक्लोसिस को जड़ से समाप्त करने का संकल्प है, लेकिन हम इसे 2025 तक खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं.
कोविड से लड़ाई में सबके साथ :
कोविउ-19(covid -19 ) महामारी ने सभी देशों की स्वास्थ्य सेवाओं में कमजोरियों को उजागर किया है. उन कमजोरियों को मजबूती में बदलने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वय की जरूरत है. इस प्रकार की महामारियों से लड़ने के लिए हम सभी को भविष्य में तैयार रहने की जरूरत है. हमें भविष्य में आने वाली महामारियों से बचने के लिए अभी से तैयारी करने की जरूरत है. कम्युनिटी हेल्थ वर्कर बहुत अहम भूमिका निभाते हैं, हमें उनकी क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है.
भारत ने कोविड-19 की शुरुआत में ही कई बड़े निर्णय लिये. भारत-यूएन डेवलपमेंट पार्टनरशिप फंड कोविड-19 से जुड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. भारत बाकी के सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर कोविड-19 की इस लड़ाई आगे बढ़ना चाहती है, ताकि दुनिया के हर व्यक्ति को गुणवत्तापरक और उचित कीमत पर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो सकें.