श्रावण मास कृष्णपक्ष की संकष्टि चतुर्थी को गजानन संकष्टि चतुर्थी अथवा संकटहारा चतुर्थी भी कहते हैं. संकष्टि शब्द का अर्थ है, मुश्किल समय से मुक्ति पाना. इस दिन प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश का व्रत एवं पूजा करने से तमाम संकटों एवं पापों से मुक्ति मिलती है और निसंतानों को संतान सुख प्राप्त होता है. जानें कैसे करें गजानन संकष्टि चतुर्थी की विशेष पूजा, और क्या है इसका मुहूर्त एवं महत्व.
गजानन संकष्टी गणेश चतुर्थी महत्व
श्रावण मास की चतुर्थी के दिन गजानन संकष्टि चतुर्थी का व्रत एवं पूजन का विधान है. इस दिन अधिकांशतया सुहागन स्त्रियां भगवान गणेश का व्रत एवं पूजन करती हैं, तथा गजानन संकष्टि चतुर्थी व्रत कथा का पाठन करती हैं अथवा सुनती हैं. सायंकाल के समय सूर्यास्त से पूर्व एक बार पुनः गणेश जी की पूजा की जाता है. रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा एवं अर्घ्य देकर पूजा सम्पन्न करती हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 17 जुलाई, रविवार के दिन गजानन संकष्टि चतुर्थी का व्रत पड़ रहा है. मान्यता है कि यह व्रत करने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है, तथा गणेश जी की कृपा से घर से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. यह भी पढ़ें : Sawan 2022: आज से शुरु हुआ सावन का पावन महीना, उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में की गई विधि-विधान से पूजा
पूजा विधिः प्रातःकाल स्नान-ध्यान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब गणपति बप्पा का ध्यान करें और व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. इच्छित वस्तु की कामना करें. घर की मंदिर की अच्छे से सफाई करें. मंदिर के सामने चौकी बिछायें. इस पर लाल वस्त्र बिछाएं. चौकी पर गंगाजल का छिड़काव कर गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्जवलित करते हुए निम्न मंत्र का जाप करेंगणपति प्रतिमा स्थापना मंत्र
अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च। अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।
अब गणेश जी को लाल पुष्प का हार, इत्र, लाल पुष्प, पान, सुपारी. अक्षत, रोली अर्पित करें. भोग के लिए मोदक चढ़ायें. अब गणेश जी के निम्नलिखित 10 दस नामों पर प्रत्येक नाम के उच्चारण के साथ 2 गांठ दूर्वा गणेश जी को अर्पित करते हुए प्रत्येक बार 'ॐ गं गणपतये नम:’ का जाप करें, और गणेश जी के मस्तष्क पर सिंदूर चढ़ाएं.
गणपति के 10 नाम- ॐ गणाधिपाय नम:, ॐ उमापुत्राय नम:, ॐ विघ्ननाशनाय नम:, ॐ विनायकाय नम:, ॐ ईशपुत्राय नम:, ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:, ॐ एकदंताय नम:, ॐ इभवक्ताय नम:, ॐ मूषकवाहनाय नम:, ॐ कुमारगुरवे नम:
इसके बाद गणेश जी को 21 मोदक का भोग लगाएं, क्योंकि गणेश जी को मोदक बहुत पसंद है. पांच मोदक गणेश जी को, पांच मोदक ब्राह्मण को दें. अंतिम 11 मोदक प्रसाद के रूप में वितरित करें. अब गणेश जी की आरती उतारकर पूजा सम्पन करें. अगले दिन स्नानादि कर ब्राह्मण को वस्त्र एवं अन्न दान कर व्रत का पारण करें.
गजानन संकष्टि चतुर्थी 16 जुलाई, शनिवार, 2022 पूजा मुहूर्तसंकष्टि चतुर्थी प्रारंभः 01.27 PM से (16 जुलाई, शनिवार 2022) सेसंकष्टि चतुर्थी समाप्तः 10.49 AM (17 जुलाई, रविवार 2022) तक उदया तिथिः चूंकि 17 जुलाई 2022 को पड़ रहा है, इसीलिए गजानन संकष्टि चतुर्थी का व्रत 17 जुलाई को ही रखा जायेगा.चंद्रोदय रात्रि 09.49 बजे