National Handloom Day 2019: राष्ट्रीय हथकरघा दिवस, बुनकरों की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में सराहनीय पहल
7 अगस्त को देशभर में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है, ताकि बुनकरों को सम्मान दिया जा सके और हथरकघा उत्पादों के बारे में जन जागरुकता ला सकें. दरअसल, 7 अगस्त 1905 को स्वदेशी आंदोलन शुरु हुआ था, उसी की याद में साल 2015 से 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाने लगा.
National Handloom Day 2019: भारत के हथकरघा उद्योग (Handloom Industry) को बढ़ावा देने और बुनकरों (Handloom Weavers) को सम्मान देने के उद्देश्य से 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) मनाया जाता है. आज देशभर में हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है. दरअसल, यह दिवस 1905 के स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) को भी चिह्नित करता है, जब स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार किया गया था. इस दिन हथकरघा उद्योग के महत्व और सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके योगदान के प्रति लोगों में जागरूकता लाने की कोशिश की जाती है.
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने चेन्नई में पहले राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुरुआत की थी. उस दौरान पीएम मोदी ने कहा था जिस तरह से आजादी की लड़ाई में स्वदेशी आंदोलन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, ठीक उसी तरह से गरीबी से लड़ने के लिए हथकरधा एक कारगर अस्त्र साबित हो सकता है. हथकरघा उत्पाद से न सिर्फ ग्रामीणों के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ती हैं, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है. यह भी पढ़ें: ऋचा चड्ढा हथकरघा बुनकरों को बढ़ावा देने की इस अंदाज में देंगी समर्थन
हथकरघा दिवस की कैसे हुई शुरुआत?
साल 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो उसने देश के बुनकरों की समस्याओं पर ध्यान देना शुरु किया और राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का फैसला किया. हथकरघा दिवस मनाने के लिए 7 अगस्त का दिन निर्धारित किया गया, क्योंकि यह दिन भारत के इतिहास में विशेष महत्व रखता है. दरअसल, 7 अगस्त 1905 में ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए देश में स्वदेशी आंदोलन शुरु हुआ था. स्वदेशी आंदोलन की याद में ही 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का फैसला किया गया. 7 अगस्त 2015 में पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया.
सरकार ने की सराहनीय कोशिश
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने के फैसले के बाद सरकार ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय प्रयास किए. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 'उस्ताद योजना' की शुरुआत करके बुनकरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था कराई, ताकि उन्हें तकनीकी रूप से ज्यादा समृद्ध बनाया जा सके. इसके अलावा 2015 में तत्कालीन कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने हथकरघा पर बने परिधानों को लोकप्रिय बनाने और बुनकरों की सहायता के लिए सोशल मीडिया पर 'आई वियर हैंडलूम' अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान का कई मशहूर हस्तियों ने जमकर समर्थन किया था.
बहुत पुराना है हथकरघा उद्योग
भारत में हथकरघा उद्योग का इतिहास बहुत पुराना है और प्राचीन काल से यह उद्योग बुनकरों को आजीविका प्रदान करता आया है. इससे निर्मित उत्पादों का बड़े पैमाने पर विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. इस उद्योग से लाखों लोगों की रोजी-रोटी चलती है, लेकिन जमीनी हकीकत पर गौर किया जाए तो तमाम सरकारी दावों और कोशिशों के बावजूद बुनकरों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. गौरतलब है कि राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के जरिए देश के लोगों को इस उद्योग द्वारा तैयार होने वाले उत्पादों के प्रति जागरूक करने की कोशिश की जाती है, ताकि लोग हथकरघा उद्योग द्वारा बने उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करके बुनकरों की स्तिथि को सुधारने में मदद करें.