Maa Lakshmi Ki Aarti: दीपावली पर पूजन के बाद यह आरती गाकर करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न (Watch Video)

पूजन में आरती का विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसे में दीपावली पूजन के बाद मां लक्ष्मी की आरती जरूर करें. हम आपके लिए लेकर आए हैं मां लक्ष्मी की आरती का लिरिक्स और वीडियो, जिसकी मदद से आप माता लक्ष्मी की आरती गाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

लक्ष्मी पूजन 2022 (Photo Credits: File Image)

Maa Lakshmi Ki Aarti: दीपावली (Deepawali) अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है.  इस साल 24 अक्टूबर 2022 को दीपावली मनाई जा रही है. लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Pujan) यानी दीपावली को पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) का सबसे प्रमुख पर्व माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान राम (Bhagwan Ram) लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे और उनके आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीप जलाए थे. इसके साथ ही कहा जाता है कि दीपावली के दिन ही मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है. कार्तिक अमावस्या की शाम को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है. इसके साथ ही पूजन के बाद मां लक्ष्मी की विशेष आरती की जाती है.

दीपावली यानी लक्ष्मी पूजन पर विधि-विधान से धन व ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं और घर में स्थायी तौर पर निवास करती हैं. पूजन में आरती का विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसे में दीपावली पूजन के बाद मां लक्ष्मी की आरती जरूर करें. हम आपके लिए लेकर आए हैं मां लक्ष्मी की आरती का लिरिक्स और वीडियो, जिसकी मदद से आप माता लक्ष्मी की आरती गाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

माता लक्ष्मी की आरती

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।

तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

मैया तुम ही जग-माता।।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

मैया सुख संपत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।

मैया तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

मैया सब सद्गुण आता।

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

मैया वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

मैया क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।

मैया जो कोई नर गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

ऊं  जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

देखें वीडियो-

शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन किया जाना सबसे शुभ माना जाता है. प्रदोष काल के स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सर्वोत्तम माना जाता है. इसके अलावा महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना के साथ-साथ पूरे घर को दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है और आतिशबाजी करके दिवाली के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है.

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