Chitragupta Puja 2023: कब है भगवान चित्रगुप्त जयंती? इस दिन क्यों करते हैं कलम-दवात की पूजा? जानें मुहूर्त, एवं पूजा विधि!
दीपावली महापर्व का एक अभिन्न पर्व है भगवान चित्रगुप्त एवं कलम-दवात की पूजा. प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितिया को भाई दूज के साथ-साथ कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त एवं कलम दवात की पूजा भी करते हैं
Chitragupta Puja 2023: दीपावली महापर्व का एक अभिन्न पर्व है भगवान चित्रगुप्त एवं कलम-दवात की पूजा. प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितिया को भाई दूज के साथ-साथ कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त एवं कलम दवात की पूजा भी करते हैं. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मृत्यु के पश्चात चित्रगुप्त महाराज मानव के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर बताते है कि मृत मनुष्य को स्वर्ग में जगह मिलेगी अथवा नर्क में. इस वर्ष चित्रगुप्त एवं कलम दवात की पूजा 14 नवंबर 2023 को की जाएगी. आइये जानते हैं चित्रगुप्त पूजा का महात्म्य और पूजा विधि.. यह भी पढ़े: Durga Puja 2023: पश्चिम बंगाल में बारिश से भी फीका नहीं पड़ा नवमी का उत्साह
कौन हैं चित्रगुप्त महाराज
यम संहिता के अनुसार धर्मराज ने मनुष्य के कर्मों का रिकॉर्ड रखने, उनके साथ न्याय संगत फैसला करने एवं जिम्मेदारियों को निभाने में कठिनाइयां आ रही थी. उन्होंने ब्रह्मा जी से अपनी समस्या बताई. ब्रह्मा जी ध्यान में चले गए, तब ब्रह्मा की काया से चित्रगुप्त प्रकट हुए. उनके हाथ में कलम और स्याही भरा दवात था. ब्रह्मा जी का ध्यान टूटा और चित्रगुप्त जी को देखकर कहा, वत्स, तुम मेरी काया से उत्पन्न हुए हो, इसलिए तुम्हें कायस्थ कहा जाएगा. चूंकि तुम अदृश्य रूप से मेरे शरीर में विद्यमान था, इसलिए तुम्हें चित्रगुप्त नाम दिया जाएगा. तुम क्षत्रिय धर्म का पालन करोगे. कहते हैं कि इसके बाद उन्होंने यमलोक का कार्यभार संभाला. यमराज ने अपनी पुत्री इरावती से चित्रगुप्त जी का विवाह किया. इसके अलावा सूर्य पुत्र श्रद्धादेव मनु ने भी अपनी बेटी नंदिनी का विवाह चित्रगुप्त से किया.
चित्रगुप्त पूजा की मूल तिथि एवं मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रारंभः 02.36 PM (14 नवंबर 2023)
कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया समाप्तः 01.47 PM (15 नवंबर 2023)
पूजा के लिए शुभ मुहूर्तः 10.48 AM से 12.13 PM तक
अमृतकाल का मुहूर्तः 05.48 PM से 06.36 PM तक
राहुकालः 03.03 PM से 04.28 PM (इस काल में पूजा नहीं करनी चाहिए)
भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधि
कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण कर ईशान कोण में एक स्वच्छ चौकी रखें. उस पर लाल आसन बिछाएं. इसे गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें. भगवान गणेश जी एवं चित्रगुप्त की तस्वीर स्थापित करें. अपनी एवं बच्चों की पाठ्य पुस्तक रखें. जातकों की संख्या अनुसार सादा कागज, कलम, पुष्प, कटोरी में हल्दी का घोल रखें. धूप दीप प्रज्वलित कर सर्वप्रथम गणेश जी का निम्न मंत्र पढ़ते हुए पुष्प एवं दूर्वा अर्पित करें.
ॐ गं गणपतये नम
अब चित्रगुप्त जी का मंत्र पढ़ें
ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः
रोली एवं अक्षत का तिलक लगाने के पश्चात पुष्प, फल एवं मिष्ठान चढ़ाएं. सादे कागज पर चित्रगुप्त जी की एवं कलम-दवात का रेखाचित्र बनाएँ. इस पर पान एवं सुपारी रखें. कागज पर ॐ गणेशाय नमः से लिखने के पश्चात पंच देवता का नाम लिखें. चित्र पर अक्षत एवं पुष्प चढ़ाने के पश्चात इस मंत्र का उच्चारण करें
मषीभाजन संयुक्तश्चरसित्वं! महीतले।
लेखनी- कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोऽस्तुते।
चित्रगुप्त! नमस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकम्।
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त! नमोऽस्तुते।
अंत में गणेशजी एवं चित्रगुप्त महाराज की आरती उतारें, और लोगों में प्रसाद वितरित करें. गौरतलब है कि चित्रगुप्त महाराज की पूजा के पश्चात पूरे दिन कायस्थ समाज कलम दवात का उपयोग नहीं करते हैं.