Chhath Puja 2024 Bhojpuri Wishes: छठ पूजा के इन शानदार भोजपुरी Shayaris, WhatsApp Messages, Facebook Greetings को भेजकर दें बधाई
आस्था के महापर्व छठ पूजा को बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में मनाया जाता है. छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती अपनी संतान और घर-परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं. इस अवसर पर आप इन शानदार विशेज, शायरी, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर भोजपुरी में छठ पूजा की बधाई दे सकते हैं.
Chhath Puja 2024 Wishes in Bhojpuri: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ पूजा (Chhath Puja) के महापर्व को चार दिनों तक मनाया जाता है, जबकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी इस पर्व का सबसे अहम दिन होता है. इस दिन व्रती किसी पवित्र नदी या तालाब के जल में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है, जबकि इस पर्व के आखिरी यानी चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे ऊषा अर्घ्य कहा जाता है. इस साल 5 नवंबर से नहाय खाय के साथ छठ पूजा पर्व की शुरुआत हुई है, जिसका समापन 8 नवंबर 2024 को ऊषा अर्घ्य के साथ होगा. सूर्य देव (Surya Dev) और छठी मैया (Chhat Maiya) को समर्पित इस व्रत को बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए किया जाता है.
छठ पूजा व्रत को संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है. आस्था के इस महापर्व को बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में मनाया जाता है. छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती अपनी संतान और घर-परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं. इस अवसर पर आप इन शानदार विशेज, शायरी, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर भोजपुरी में छठ पूजा की बधाई दे सकते हैं.
छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन इसका आरंभ नहाय-खाय से हो जाता है यानी छठ पर्व के पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात,कद्दू की सब्जी का सेवन एक समय करते हैं. दूसरे दिन खरना किया जाता है, जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाते हैं और पूरा परिवार इस प्रसाद का सेवन करता है. तीसरे दिन छठ का मुख्य पर्व मनाया जाता है, इस दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन किया जाता है.