Ashadhi Ekadashi 2022 Messages: आषाढ़ी एकादशी की इन हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं
महाराष्ट्र मेंआषाढ़ी एकादशी को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पंढरपुर में विट्ठल-रुक्मिणी की विशेष पूजा-अर्चना होती है. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में इस अवसर पर आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Ashadhi Ekadashi 2022 Messages in Hindi: आज (29 जून 2023) आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जिसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), पद्ननाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) और आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. देशभर में आज देवशयनी आषाढ़ी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है. आषाढ़ी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के भक्त व्रत रखकर उनकी षोडशोपचार विधि से पूजा करते हैं. पूजन के दौरान श्रीहरि को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन, पीली मिठाई, पीले फलों का भोग अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही श्रीहरि क पूजन में तुलसी दल का उपयोग करना आवश्यक माना जाता है, क्योंकि तुलसी उन्हें अत्यंत प्रिय है और बिना तुलसी दल के उनकी पूजा संपन्न नहीं होती है. इस व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद किया जाता है.
महाराष्ट्र मेंआषाढ़ी एकादशी को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पंढरपुर में विट्ठल-रुक्मिणी की विशेष पूजा-अर्चना होती है. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में इस अवसर पर आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं
2- ॐ नमो नारायणाय नम:
आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं
3- ॐ श्री विष्णवे नम:
आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं
4- ॐ श्री लक्ष्मी नारायण नम:
आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं
5- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं
आषाढी एकादशी को इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि इसी दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार मास के लिए गहन योगनिद्रा में चले जाते हैं और इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ी एकादशी से भगवान विष्णु का शयन काल प्रारंभ होता है और वे अगले चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं, इसलिए चातुर्मास के दौरान विवाह, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. इसके बाद कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरु हो जाते हैं.