Amalaki Ekadashi 2022 Messages: शुभ आमलकी एकादशी! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings और GIF Images
एकादशी के व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से शुरू हो जाता है और द्वादशी के दिन पारण करके इस व्रत का समापन किया जाता है. आमलकी एकादशी श्रीहरि के भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है, इसलिए इस दिन लोग शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं. ऐसे में आप भी प्रियजनों संग ये हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और जीआईएफ इमेजेस को शेयर करके शुभ आमलकी एकादशी कह सकते हैं.
Amalaki Ekadashi 2022 Messages in Hindi: हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) मनाई जाती है. भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित यह एकादशी महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के बाद और होली (Holi) से पहले आती है. इस साल आमलकी एकादशी का व्रत 14 मार्च को किया जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) भी कहा जाता है. यह इकलौती ऐसी एकादशी है, जिसका संबंध भगवान विष्णु के अलावा भगवान शिव और माता पार्वती से भी है. इस दिन भगवान विष्णु, आंवले की वृक्ष के अलावा भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष व श्रीहरि की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
एकादशी के व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से शुरू हो जाता है और द्वादशी के दिन पारण करके इस व्रत का समापन किया जाता है. आमलकी एकादशी श्रीहरि के भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है, इसलिए इस दिन लोग शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं. ऐसे में आप भी प्रियजनों संग ये हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और जीआईएफ इमेजेस को शेयर करके शुभ आमलकी एकादशी कह सकते हैं.
1- ॐ श्री विष्णवे नम:
आमलकी एकादशी की शुभकामनाएं
2- ॐ नमो नारायण नम:
आमलकी एकादशी हार्दिक बधाई
3- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
शुभ आमलकी एकादशी
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4- विष्णु जिनका नाम है,
बैकुंठ जिनका धाम है,
जगत के उस पालनहार को,
हमारा शत-शत प्रणाम है.
आमलकी एकादशी की बधाई
5- आपको और आपके परिवार को,
आमलकी एकादशी की शुभकामनाएं
आमलकी एकादशी के व्रत के दौरान इसके नियमों का पालन भक्त कड़ाई से करते हैं. व्रत के दौरान अनाज का सेवन वर्जित माना जाता है और अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करते हैं. इस दिन चावल का प्रयोग वर्जित माना जाता है. जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें झूठ और परनिंदा से बचना चाहिए. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ विष्णुसहस्रनाम का पाठ और रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.