मृत व्यक्ति को पता होता है कि उसकी मौत कब हुई, क्योंकि मरने के बाद कुछ देर तक जीवित रहता है उनका मस्तिष्क

हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार, मौत के बाद भी मृत व्यक्ति को यह पता होता है कि उसकी मौत कब हुई. शोधकर्ताओं की मानें तो ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि मौत के कुछ देर बाद तक मनुष्य का मस्तिष्क जीवित रहता है और उसे मृत्यु के पश्चात आसपास हो रही सारी घटनाओं की जानकारी होती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार, मौत (Death) के बाद भी मृत  व्यक्ति को यह पता होता है कि उसकी मौत कब हुई. शोधकर्ताओं की मानें तो ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि मौत के कुछ देर बाद तक मनुष्य का मस्तिष्क (Human Brain) जीवित रहता है और उसे मृत्यु के पश्चात आसपास हो रही सारी घटनाओं की जानकारी होती है. बता दें कि यूरोप और यूएस में कार्डिएक अरेस्ट के विषय पर अध्ययन करने के बाद न्यूयॉर्क के स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (New York’s Stony Brook University School of Medicine ) के शोधकर्ताओं ने इस पर अध्ययन किया. जिसके बाद यह खुलासा हुआ कि व्यक्ति के मृत्यु का समय उस क्षण पर आधारित होता है, जब उसके दिल की धड़कनें रुक जाती हैं.

दरअसल, जब दिल धड़कना बंद कर देता है तो मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन (Blood Circulation) का कार्य भी रुक जाता है. हालांकि इस प्रक्रिया को पूर्ण होने में घंटों का समय लग जाता है. ऐसे में मस्तिष्क व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी तकनीकि रूप से कुछ देर के लिए जीवित रहता है. मृत व्यक्ति का मस्तिष्क तब तक जीवित रहता है जब तक पूरी तरह से रक्त का संचार थम न जाए, इसलिए मौत के कुछ देर बाद तक मृत व्यक्ति को यह पता होता है कि उसके आसपास क्या हो रहा है?

बताया जा रहा है कि शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए ऐसे लोगों के डेटा को एकत्रित किया, जिन्हें दिल की धड़कनों के रूक जाने के बाद फिर से जीवित घोषित किया गया था. इन लोगों के डेटा की मदद से यह जानने की कोशिश की गई कि मृत घोषित किए जाने के बाद उनके साथ क्या हुआ था. जिन लोगों के साथ ऐसा वाकया हो चुका है उन्होंने माना कि दिल की गतिविधियों के रुक जाने के बाद भी उन्हें डॉक्टरों और नर्सों के बीच हुई बातचीत अच्छे से याद है. यह भी पढ़ें: ब्रेन स्ट्रोक: दुनिया में हर छठा व्यक्ति है इस गंभीर बीमारी का शिकार, देश में हर साल 15 लाख नए मामले

अध्ययन में बताया गया कि उनमें से कई लोगों के पास उनके आसपास होने वाली हर चीज के दृश्य और श्रवण स्मृति हैं. इसके साथ ही कुछ ऐसी बातें भी उन्हें याद हैं जिन्हें वे दोबारा याद नहीं करना चाहते जैसे- उन्हें अच्छी तरह से याद है कि डॉक्टरों ने उन्हें कब मृत घोषित किया था.

नियर डेथ एक्सपीरियंस (Near Death Experience) की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए इस बात को अच्छी तरह से समझाया जा सकता है. जिन लोगों ने इसका अनुभव किया है उनमें से एक हैं अनीता मुरजानी की मानें तो जब उन्हें मृत घोषित किया गया था तब उन्हें उस पल की हर एक बात याद है.

वहीं इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉ. सैम पारनिया का कहना है कि, जिन लोगों ने इसे अनुभव किया है उनके भीतर सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं, वे पहले से ज्यादा परोपकारी बन जाते हैं और दूसरी की मदद करने में अधिक व्यस्त होते हैं.

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