किशनगंगा डैम: भारत की जीत, पाकिस्तान की आपत्ति को विश्व बैंक ने नकारा
किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Photo Credits : IANS)

नई दिल्ली: हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर में शुरू किए गए किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर सवाल उठानेवाले पाकिस्तान को करारा झटका लगा है. किशनगंगा प्रोजेक्ट पर डैम को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों को खारिज विश्व बैंक ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है.

पर‍ियोजना के उद्घाटन के बाद पाकिस्‍तान ने विश्व बैंक से श‍िकायत की थी. इस्लामाबाद ने नई दिल्ली पर यह बांध बनाकर 1960 के सिंधु जल समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इस प्रोजेक्‍ट पर विश्व बैंक से निगरानी रखने को कहा था.

अटॉर्नी जनरल अश्तर औसफ के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल रविवार को इस संबंध में तीन दिवसीय वार्ता के लिए वाशिंगटन गया था. इस्लामाबाद को डर है कि इस भारतीय परियोजना से उसके भूभाग में पानी का प्रवाह कम हो जाएगा.

पाकिस्तान सरकार ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, "पाकिस्तान और विश्व बैंक ने वाशिंगटन में भारत अधिकृत कश्मीर में नीलम नदी पर किशनगंगा हाइड्रोपॉवर परियोजना पर वार्ता शुरू कर दी है. अटॉर्नी जनरल अश्तर औसफ प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे हैं और पाकिस्तान इस विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ अदालत की मांग कर रहा है."

प्रधानमंत्री मोदी ने 19 मई को 330 मेगावाट वाला किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था. यह प्रोजेक्‍ट उत्तर कश्‍मीर के बांदीपोर जिले में बहने वाली किशनगंगा नदी पर बना है जो कि पाकिस्‍तान की तरफ जाता है.

सिंधु जल समझौता:

56 साल पहले भारत और पाकिस्तान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते के अंतर्गत सिंधु नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में विभाजित किया गया. सतलज, ब्यास और रावी नदियों को पूर्वी नदी बताया गया जबकि झेलम, चेनाब और सिंधु को पश्चिमी नदी बताया गया. समझौते के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ शर्तो के साथ भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है. पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए होगा. लेकिन समझौते के भीतर इन नदियों के पानी का कुछ सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को दिया गया है.