एक महिला ने दूसरी महिला पर लगाया रेप का आरोप, धारा 377 के चलते पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
धारा 377 लागू होने बाद देश में समलैंगिकता को अपराध श्रेणी से बाहर कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद ही एक रेप का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमे पुलिस किसी भी प्रकार की कार्रवाई को करने से बच रही है.
नई दिल्ली: धारा 377 लागू होने बाद देश में समलैंगिकता को अपराध श्रेणी से बाहर कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद ही एक रेप का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमे पुलिस किसी भी प्रकार की कार्रवाई को करने से बच रही है. दरअसल 25 साल की एक महिला ने दूसरी महिला के खिलाफ रेप का आरोप लगाया है. पीड़ित महिला मामले में केस दर्ज कराने में असफल रही. महिला का दावा है कि 19 वर्षीय आरोपी महिला ने उसके साथ कई बार बलात्कार किया और उसके साथ मारपीट की.
साथ ही इस महिला ने दिल्ली पुलिस पर भी आरोप लगाया कि दिल्ली की सीमापुरी थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने से इनकार कर दिया और इसके बाद भी उसका शोषण जारी रहा. पीड़ित महिला पूर्वी भारत से काम के सिलसिले में दिल्ली आई थी.
पीड़ित महिला ने बयान में बताया कि "मैंने सीमापुरी पुलिस स्टेशन से उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया. यहां तक कि उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने भी इस बात का जिक्र करने से इनकार किया था, लेकिन फिर भी मैंने इसका जिक्र किया."
पीड़ित का बयान 26 सितंबर को आपराधिक प्रक्रिया सहिंता की धरा 164 के तहत करकार्डूम जिला अदालत में मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया गया है. पीड़ित महिला ने बताया कि यह सब उसके साथ इस साल मार्च से शुरू हुआ जब उसने बिजनेस शुरू करने के लिए गुरुग्राम में अपनी नौकरी छोड़ दी. अपना बिजनेस शुरू करने के लिए उसने एक एग्रीमेंट किया और निवेश के लिए पार्टनर तलाशने लगी. पंजाब के राजपुरा में निर्धारित ट्रेनिंग सेशन के दौरान उससे निवेश के तौर पर 1.5 लाख रुपये मांगे गए थे जिनकी व्यवस्था उसके पिता ने लोन लेकर की थी.
पीड़ित महिला को पार्टनर तलाशने के लिए रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट या फिर बस स्टॉप पर लोगों से संपर्क कर अपने बिजनेस प्लान के बारे में बताने की सलाह दी गई थी. इसी प्रक्रिया के दौरान उसकी रोहित और दूसरे आरोपी राहुल से मुलाकात हुई, राहुल ने उसे बताया कि वह एचसीएल में काम करता है और उसके बिजनेस में निवेश करने के लिए तैयार है. पीड़िता को दिलशाद कॉलोनी के एक अपार्टमेंट में ले जाया गया, जहां रोहित और राहुल ने उसके साथ बलात्कार किया और उसे ब्लैकमेल करने के लिए अश्लील वीडियो शूट किए. यह भी पढ़ें- गे पार्टनर ने सेक्स करने से किया इनकार तो लड़के ने चाकू से किया ऐसा काम की मच गया हड़कंप
महिला ने किया अप्राकृतिक कृत्य
पीड़ित महिला ने बताया, "सबसे पहले इन आरोपियों ने मुझे उनके साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया, और फिर यह उनका धंधा बन गया. मुझे ग्राहकों के पास भेजा जाता. आरोपी महिला हमेशा अपार्टमेंट में रहती थी. वह अक्सर मेरे करीब आने की कोशिश करती थी और जब मैंने उसे पास आने से रोक दिया तो उसने मेरे साथ मारपीट की."
इस दौरान पीड़ित को केवल कुछ ही मौकों पर अपने परिवार से बात करने की इजाजत मिली. पीड़ित महिला का कहना है, "राहुल वक्त-वक्त पर मुझे अपने माता-पिता से बात करने के लिए कहता था और उसने मुझे उन्हें कुछ भी न बताने की धमकी दी हुई थी. राहुल ने उनके अकाउंट में मेरी फीस के तौर पर 20 हजार रुपये डाले. उन्हें लग रहा था कि मैं बिजनेस वेंचर के लिए काम कर रही थी. मामले में राहुल को गिरफ्तार कर लिया गया है और जेल भेज दिया गया है जबकि रोहित फरार है.
पीड़िता ने बताई आपबीती
पीडिता ने बताया कि रोहित और राहुल ने बिस्तर पर उसे पकड़ा जबकि आरोपी महिला ने ग्राहकों के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए उसे तैयार करने के लिए सेक्स टॉयज से उसके साथ बलात्कार किया.
पीड़ित महिला ने कहा कि उस महिला को ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं किया गया था बल्कि वह अपनी मर्जी से ऐसा कर रही थी. उसने कहा कि वह रोहित और राहुल के साथ उसके लिए भी सजा चाहती है. वर्तमान में राहुल, रोहित और सागर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. हालांकि जहां राहुल और रोहित को बलात्कार, बंधक बनाने और तस्करी जैसे मामलों में आरोपी बनाया गया है वहीं सागर पर रेप या फिर रेप के प्रयास का आरोप नहीं है.
गर्भवती है पीड़िता
पीड़िता ने अदालत को यह भी बताया है कि वह छह सप्ताह की गर्भवती है और अबॉर्शन कराना चाहती है. उसने मांग की है कि अबॉर्शन के बाद भ्रूण के डीएनए को आरोपियों के अपराध को साबित करने के लिए इस्तेमाल किया जाए.
मामले में पुलिस का क्या कहना है
सीमापुरी के एसएचओ ने कहा, "पीड़ित ने हमें एक लिखित शिकायत दी थी और इसके आधार पर हमने प्राथमिकी दर्ज की थी. हमारे लिए किसी को गिरफ्तार करना सबसे आसान काम है लेकिन इसके लिए हमें सबूत चाहिए. हम अभी भी जांच प्रक्रिया में हैं और जांच के शुरुआती चरण में हैं."
एसएचओ ने यह भी कहा कि क्योंकि धारा 377 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बदलाव किया गया है इसलिए अगर कोई महिला दूसरी महिला का बलात्कार करती है तो इसके लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.
बता दें भारतीय दंड संहिता की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच के फैसले के बाद समान लिंग के बीच संबंध अब अपराध नहीं रहा. हालांकि सहमति को लेकर बहस जारी है.
पीड़िता की वकील ने कही जबरदस्ती की बात
मामले में पीड़िता की वकील का कहना है कि "सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 में बदलाव कर दिया है लेकिन यह उन मामलों में लागू होता है जहां सहमति से समलैंगिक संबंध बने हों. जहां तक मेरी क्लाइंट का सवाल है तो नि:संदेह उसके साथ जबरदस्ती हुई. यहां केवल 377 ही लागू होगा."