वाराणसी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) से लंगड़ा आम हाल ही में दुबई (Dubai) भेजा गया, उसी की तर्ज पर अब काला चावल (Black Rice) ऑस्ट्रेलिया जा रहा है. इस नई पहल से इलाके के किसानों की आय भी बढ़ेगी और निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे. ऑस्ट्रेलिया (Australia) जा रहे इस काला चावल की खास बात यह है कि इस चावल में कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के गुण हैं. साथ ही यह डायबिटीज के मरीजों के खाने योग्य है.
दरअसल वाराणसी का पड़ोसी जिला चंदौली धान के कटोरे के रूप में जाना जाता है. जहां के किसानों ने काला चावल पैदा किया है. यह चावल काफी गुणकारी है. इसी गुणवत्ता के कारण किसानों ने इसकी पैदावर बढ़ाने का फैसला किया. और जब फसल अच्छी हुई, तो इसे देश के अलग-अलग राज्यों में भेजने के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया निर्यात करने का फैसला लिया गया. सरसों, चावल छिलका तेल के ऊंचे भाव से सोयाबीन डीगम की कीमतों में सुधार
वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा कि पीएम मोदी ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. उसी दिशा में प्रदेश आगे बढ़ रहा है. चंदौली एक महत्वकांक्षी जिले में आता है, यहां काला चावल के उत्पादन पर पिछले दो साल से प्रयोग किए जा रहे थे. इस बार 250 हेक्टेयर में 80 मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया गया है, जिसे एक ही फर्म द्वारा धान के रेट के दोगुने भाव में काला चावल को खरीदा गया है. यह चंदौली के लिए बहुत बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है.
बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय के एपीडा के सहयोग से सुखबीर एग्रो ने काला धान खरीदा, जिसे ऑस्ट्रेलिया भेजा जाएगा। इतना ही नहीं चेक के माध्यम से किसानों को तुरंत भुगतान भी कर दिया गया। इस दौरान एपीडा के एजीएम सीबी सिंह ने कहा कि इस काला चावल की खासियत है कि यह हेल्थ के लिए काफी अच्छा है, इसलिए एक बार अगर निर्यात ने गति पकड़ ली तो किसानों को आर्थिक लाभ मिलने लगेगा औऱ इसका बाजार सेट हो जाएगा.
वहीं सरकार की इस कोशिश से यहां के किसान काफी उत्साहित हैं और उत्पादन बढ़ाने की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि वह आने वाले समय में तीन गुना उत्पादन करेंगे और अब करीब एक हजार हेक्टेयर में चंदौली के किसान काला चावल की खेती की योजना बना रहे हैं.