लखनऊ, 3 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी नई अक्षय ऊर्जा पहल के तहत राज्य में सरकारी और अर्ध-सरकारी भवनों और कार्यालयों पर सौर छत परियोजनाओं को विकसित करने का निर्णय लिया है. नोडल निकाय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (एनईडीए) विभाग ने सरकारी भवनों और कार्यालयों के लिए 25-2,000 किलोवाट ग्रिड से जुड़े सौर पीवी परियोजनाओं के डिजाइन, निर्माण, आपूर्ति, निर्माण, परीक्षण और कमीशन के लिए संभावित बोलीदाताओं से पहले ही ऑनलाइन बोलियां आमंत्रित की हैं. चयनित ठेकेदार 25 वर्षो तक रूफटॉप सौर परियोजनाओं के रखरखाव और संचालन के लिए भी जिम्मेदार होंगे. सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, "एनईडीए ने 10 अक्टूबर को एक प्री-बिड कॉन्फ्रेंस भी आमंत्रित की है, जिसमें उन सुझावों पर ध्यान दिया जाएगा जो संभावित बोलीदाताओं को देने पड़ सकते हैं."
रूफटॉप सिस्टम को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक प्राधिकरण आरएसपीवी विनियम, 2019 और इसके संशोधनों को लागू करेगा. रूफटॉप सोलर पीवी अनिवार्य रूप से उपभोक्ता परिसर की छतों पर स्थापित ग्रिड-इंटरैक्टिव सोलर फोटोवोल्टिक पावर सिस्टम को संदर्भित करता है. यह सूर्य के प्रकाश का बिजली में रूपांतरण के लिए फोटो-वोल्टाइक तकनीक का उपयोग करता है. परियोजना को अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (आरईएससीओ) मॉडल के तहत नेट-बिलिंग/नेट-मीटरिंग आधार पर निष्पादित करने का प्रस्ताव है. यह भी पढ़ें : UP government to start solar rooftop project under renewable energy initiative
रेस्को मॉडल के तहत बोलीदाताओं का इरादा छत के मालिक (मालिकों) से लीज समझौते सहित पारस्परिक रूप से सहमत नियमों और शर्तो पर किसी अन्य संस्था के स्वामित्व वाली छत लेने का है और सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए छत के मालिक के साथ 25 साल के लिए पीपीए करार करना है. इस तरह के समझौतों के अनुसार, रूफटॉप मालिकों को कोई अग्रिम भुगतान नहीं करना पड़ता है. प्रवक्ता ने कहा, "इस योजना का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली और इस तरह कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है. राज्यभर में 50 मेगावाट की कुल क्षमता वाली यह योजना ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर पीवी परियोजनाओं की स्थापना की परिकल्पना करती है."