अखिलेश राज में हुए रिवरफ्रंट घोटाले की जांच तेज: ED ने 4 राज्यों में मारा छापा, तलाशी जारी
उत्तर प्रदेश में बने गोमती रिवर फ्रंट में कथित घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ी कार्यवाई की है. अखिलेश राज में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग का शक है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बने गोमती रिवर फ्रंट (Gomti Riverfront) में कथित घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ी कार्यवाई की है. अखिलेश राज में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग का शक है जिसको लेकर आज उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में ताबड़तोड़ छापेमारी की गई. हालांकि जांच एजेंसी अभी तलाशी अभियान में जुटी है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बनाए गए गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले की बात सामने आई थी, जिसकी जांच की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईडी ने छापेमारी में प्रमुखतः सिंचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों, इंजीनियरों और ठेकेदारों के घरों को टारगेट किया है.
बताया जा रहा है कि पिछली सरकार ने इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी कारी ऐसी कंपनियों को सौपी थी जो कि ब्लैक लिस्टेड थीं. इसके साथ ही इन कंपनियों को काम के लिए तय सीमा से ज्यादा का भुगतान भी किया गया. जिसका खुलासा होने के बाद दिसंबर 2017 को यश केस सीबीआई को दे दिया गया.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार के दौरान गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण की कवायद शुरू की गई थी. इस पर पूर्ववर्ती सरकार की ओर से काफी पैसा भी खर्च किया गया था लेकिन सरकार बदलने के बाद रिवर फ्रंट जांच के घेरे में आ गया था.
दरअसल समाजवादी पार्टी की सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 1513 करोड़ रुपये रखे थे, जिसमें से 1437 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं. जनवरी 2015 में इस प्रोजेक्ट की लागत 157 करोड़ थी. कार्य शुरू होते होते यह 357 करोड़ हो गया और मार्च 2017 तक 1400 करोड़ खर्च होने के बावजूद केवल 60 प्रतिशत कार्य ही हुआ था.
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ही गोमती रिवर फ्रंट को सजाने-संवारने का जिम्मा लखनऊ विकास प्राधिकरण को दे दिया है. जिसके लिए पिछले साल योगी सरकार ने और 27 करोड़ रूपये भी दिए. गोमती रिवर फ्रंट 370 एकड़ में फैला है.