Unlock 5 Guidelines: अनलॉक-5 की गाइडलाइन जारी, बुजुर्गों के लिये कितना सही है माहौल!

अनलॉक-5 की गाइडलाइन जारी कर दी गई है. थियेटर, सिनेमा हॉल जैसे कई संस्थान को नये दिशा निर्देश के साथ खोलने की अनुमति दी गई है. हालांकि देश में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. लेकिन जिंदगी को पटरी लाने के लिये देश अब लगभग पूरी तरह से खुल चुका है. लेकिन इसके लिये न्यू नॉर्मल को अपनाने की सलाह दी गई है.

कोरोना संक्रमित क्वारंटाइन (Photo Credits: Getty image)

Unlock 5 Guidelines:- अनलॉक-5 (Unlock) की गाइडलाइन जारी कर दी गई है. थियेटर, सिनेमा हॉल जैसे कई संस्थान को नये दिशा निर्देश के साथ खोलने की अनुमति दी गई है. हालांकि देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. लेकिन जिंदगी को पटरी लाने के लिये देश अब लगभग पूरी तरह से खुल चुका है. लेकिन इसके लिये न्यू नॉर्मल को अपनाने की सलाह दी गई है.

लॉकडाउन के बाद से जिंदगी को नये सिरे से आगे बढ़ाना है, जिसमें मास्क, सेनिटाइजर और फीजिकल डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी है. अनलॉक की इस प्रक्रिया में क्या है चुनौतियां और वायरस और संक्रमण से जुड़े तमाम सवालों के जवाब के लिये एम्स नई दिल्ली के डॉ प्रसून चटर्जी ने.

अनलॉक-5 के बाद लोगों लिए नए दिशा-निर्देश हैं?

कोरोना की स्थिति अभी सुधरी नहीं है. लॉकडाउन के बाद से अब हमें और ज्यादा सतर्क रहना है, क्योंकि तब घर में थे और अब बाहर जा रहे हैं. सीरो सर्वे के रिपोर्ट भी कहती है कि अभी भी पूरी आबादी के लिहाज से हमारे देश में संक्रमण बहुत कम है. यह भी ध्‍यान रहे कि अभी हम हर्ड इम्युनटी से काफी दूर हैं. ऐसे में अगर लापरवाही बरतेंगे तो स्थिति बिगड़ सकती है.

यह भी पढ़ें: Unlock 5.0- Cinemas To Open with 50% Capacity: सिनेमा प्रेमियों के लिए बड़ी खबर, 50% कैपेसिटी के साथ इस तारीख से खुलेंगे थिएटर

अनलॉक-5 हो चुका है, बुजुर्गों के लिये अब माहौल कितना सही है?

जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक बुजुर्गों को पूरी सतर्कता बरतनी है. अनलॉक-5 हो या कोई भी जब तक जरूरत न हो बाहर न जायें. अगर बाहर जाना है तो मास्क लगा कर, सेनिटाइजर साथ रख कर जायें. अगर उन्हें बाहर नहीं जाने दे रहें हैं तो, परिवार के सदस्य अपने दादा-दादी के साथ वक्त बितायें. क्योंकि लंबे समय तक एक ही जगह रह कर बुजुर्ग भी परेशान हो जाते हैं और कोरोना में अभी बुजुर्गों को लंबे समय तक सावधानी रखनी है. उनमें इम्युनिटी कमजोर होती है. हालांकि सभी सदस्यों को नियमों का पालन करना होगा.

कोरोना की दवा कब तक बन कर तैयार होगी?

कोरोना की कई वैक्सीन बन गई हैं, उनका ट्रायल चल रहा है. जहां तक दवा की बात है, तो कई तरह की दवाओं का प्रयोग मरीजों के इलाज में किया जा रहा है. वो भी कोई स्थाई दवाएं नहीं हैं. संक्रमितों में भी ज्यादातर एसिम्प्टोमेटिक हैं, जो खुद ही ठीक हो जाते हैं.

कोरोना काल में मिट्टी से हाथ धोना कितना सुरक्षित है?

मिट्टी से हाथ धोने से हाथ के कीटाणु-जीवाणु नहीं मरेंगे, क्योंकि उनमें अन्य बैक्टीरिया भी हो सकते हैं. हाथ केवल साबुन से धोएं बस साबुन में झाग आना चाहिए.

सीरो सर्वे के अनुसार 6.6% आबादी संक्रमित हो चुकी है, ऐसे में हर्ड इम्युनिटी की क्या भूमिका है?

जब कोई बीमारी किसी आबादी के 80 प्रतिशत लोगों को संक्रमित कर चुकी होती है और संक्रमित बीमारी से लड़ने के लिये एंटीबॉडी से ठीक हो चुके हैं. तो बची हुई आबादी को संक्रमण का खतरा नहीं होता है. उनमें एंटीबॉडी नहीं भी बनेंगे तो भी वे संक्रमित नहीं होंगे. इसे हर्ड इम्‍युनिटी कहते हैं और हमारे देश में अभी यह बहुत दूर हैं.

Share Now

\