नई दिल्ली: केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी का कहना है कि गोबर का इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादों में किए जाने से भारत का आर्थिक कायाकल्प हो सकता है और इससे गायें (Cow) कसाई के हाथ जाने से बच सकती हैं. केंद्रीय मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी (Pratap Chandra Sarangi) ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि, "गाय के गोबर का उपयोग औद्योगिक उत्पादों में किए जाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिल सकती है और दूध नहीं देने वाली गायों और बैलों को कत्लखाना जाने से बचाया जा सकता है.
खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा गाय के गोबर से पेंट बनाए गए खादी प्राकृतिक पेंट की खासियत और इससे पशुपालकों को होने वाले फायदे का जिक्र करते हुए सारंगी ने आईएएनएस से कहा, "इस पेंट का मुख्य कच्चा माल गोबर है और गोबर होने के कारण यह कीटाणुनाशक है. एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से युक्त है। साथ ही, यह सस्ता भी है और पूरे देश में इसके उद्योग विकसित होने से गोबर का उपयोग उद्योग में होने से पशुपालकों को इसका लाभ मिलेगा.
प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के बालासोर से सांसद हैं और वह केंद्र सरकार में पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी राज्यमंत्री भी हैं। गोबर से बने पेंट के बारे में उन्होंने बताया कि इस दिशा में शोधकार्य काफी समय से चल रहा था और एक-दो संस्था ने इसे पहले पेश भी किया था, लेकिन प्रयोगशालाओं में शोध करके इसका प्रमाणीकरण करने के बाद अब प्रस्तुत किया गया है जो आर्गेनिक व नेचुरल पद्धति से तैयार किया गया है और इसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता है.
उन्होंने कहा, पूरे देश में गांव स्तर पर हम इसके हजारों उद्योग लगाएंगे, क्योंकि कम खर्च पर यह उद्योग लगाया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री सारंगी ने कहा कि गांव-गांव में उद्योग लगने से महिलाओं और पुरुषों को रोजगार मिलेगा जिससे गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। उन्होंने कहा कि आर्गेनिक पेंट होने के कारण यह इकोफ्रैंडली है और यह जल्द ही पूरे भारत के बाजार पर अपनी पकड़ बनाएगा। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी यह एक भारत का चमत्कारी ब्रांड बनेगा.
खादी प्राकृतिक पेंट को डिस्टेंपर पेंट और प्लास्टिक इमल्शन पेंट के रूप में पेश किया गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को खादी प्राकृतिक पेंट लांच किया। इस मौके पर प्रताप चंद्र सारंगी भी मौजूद थे. केंद्रीय मंत्री सारंगी ने आईएएनएस से बातचीत में इसी गुणवत्ता के संबंध में कहा, "किसी भी प्रयोगशाला में इसकी जांच करने को लेकर हम तैयार हैं."
सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले प्रताप चंद्र सारंगी गांव, गरीब और किसानों की समृद्धि के समर्थक हैं। उनका कहना है कि गोबर और गोमूत्र से उत्पाद तैयार किए जाने से पशुपालकों को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा, "गोमाता को कामधेनु बताया गया है। जो बूढ़ी गाय दूध नहीं देती है उसके गोबर और गोमूत्र से उत्पाद बनाए जाने से एक परिवार का भरण-पोषण हो सकता है। एक गाय या बैल के गोबर और गोमूत्र से साल में 40,000 से 50,000 रुपये की आमदनी हो सकती है.उन्होंने कहा कि इस तरह दूध नहीं देने वाली गाय भी आर्थिक प्राणी साबित हो सकती है, जिसके गोबर और गोमूत्र से सैकड़ों उत्पाद बनाए जा सकते हैं और उनसे देश का आर्थिक कायाकल्प हो सकता है.