नई दिल्ली: आतंकियों के बाद अब जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के भी बुरे दिन आनेवाले है. खबरों के मुताबिक टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में कथित तौर पर लिप्त पाए गए अलगाववादी नेताओं पर सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. बता दें की घाटी में भाजपा-पीडीपी का गठबंधन टूटने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू है.
जानकारी के मुताबिक जल्द से जल्द कार्यवाई शुरू करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय बैठक भी हुई है. इस बैठक में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक योगेश चंदर मोदी, प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक करनाल सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
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इससे पहले जम्मू-कश्मीर को आतंकियों से निजात दिलाने के लिए सुरक्षाबलों ने टॉप 21 आतंकी कमांडरों की सूची जारी की है. राज्यपाल शासन होने की वजह से सेना को पूरी तरह से छूट दी गई है. आतंकियों की हिटलिस्ट में हिज्बुल मुजाहिदीन के 11, लश्कर-ए-तैयबा के 7 और जैश ए मोहम्मद के 2 आतंकी शामिल है. इसके अलावा इस्लामिक स्टेट की भारतीय शाखा अंसार गजवातुल हिंद का एक आतंकी भी मोस्ट वांटेड की लिस्ट में हैं.
ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दी के लिए फंडिंग की जाती है. टेरर फंडिंग के एक मामले में NIA ने पहले ही दिल्ली कोर्ट में टेरर मास्टरमाइंड्स हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन समेत 10 कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
चार्जशीट में हुर्रियत नेता सैयद शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह, गिलानी के निजी सहायक बशीर अहमद, आफताब अहमद शाह, नईम अहमद खान और फारूक अहमद डार आदि के नाम शामिल हैं. गौरतलब है कि सुरक्षा एजेंसिया फेमा एक्ट और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत टेरर फाइनैंसिंग से जुड़े कम से कम एक दर्जन मामलों की जांच कर रही है.