आखिर क्यों भड़की सुषमा स्वराज ब्रिटिश अदालत की इस टिप्पणी पर

सुषमा ने कहा, "मैं बताना चाहता हूं कि ये वही कारागृह हैं जहां आपने महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और भारत के अन्य बड़े नेताओं को रखा था. इसलिए आपकी अदालतों द्वारा उन कारागृहों पर सवाल उठाना ठीक नहीं है."

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नई दिल्ली:  विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस प्रकार अपने ब्रिटिश समकक्ष थेरेसा मे से कहा था कि उनकी अदालतों ने भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या के मामले में भारत की जेलों की दशा पर गलत सवाल उठाया था क्योंकि उन्हीं जेलों में ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसे भारत के बड़े नेताओं को कैद रखा था. हाल ही में हुए राष्ट्रमंडल सम्मेलन में मोदी द्वारा मे को कही गई बातों का जिक्र करते हुए सुषमा ने कहा, "मैं बताना चाहता हूं कि ये वही कारागृह हैं जहां आपने महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और भारत के अन्य बड़े नेताओं को रखा था. इसलिए आपकी अदालतों द्वारा उन कारागृहों पर सवाल उठाना ठीक नहीं है."

मोदी सरकार के चार साल की उपलब्धियों पर प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए शराब कारोबारी को वापस लाने में भारत सरकार के प्रयास के मसले पर सुषमा स्वराज ने कहा, "हमने यूके से प्रत्यर्पण की मांग की है. उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों में से एसबीआई की अगुवाई वाली 12 भारतीय बैंकों की कंसोर्टियम के एक मामले में जीत हुई है. कहा गया है कि सभी बैंक अपनी वसूली के लिए आगे बढ़ सकते हैं."

भारतीय प्राधिकरणों द्वारा लगाए गए फर्जीवाड़े और धन शोधन के आरोपों में ब्रिटेन में प्रत्यर्पण के मुकदमे का सामना कर रहे माल्या सार्वजनिक क्षेत्र के 13 बैंकों द्वारा दाखिल मुकदमा हार गए हैं. यूबी ग्रुप के पूर्व चेयरमैन माल्या पर बैंकों के 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है.

ब्रिटिश अदालतों के फैसले में भारतीय जेल की दशा खराब बताई गई है और कहा गया है कि मामले पर निर्णय करने से पहले वह जेलों की दशा देखना चाहेगी. लिहाजा, इसके चलते माल्या का प्रत्यर्पण कठिन हो गया है. अदालतों ने भारतीय जेलों में हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताई है. साथ ही कहा है कि भारतीय जेल अतिसंकुल हैं और स्वास्थ्य की दृष्टि से जेल का परिवेश खराब है.

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