सुप्रीम कोर्ट ने की सांसदों, विधायकों की डिजिटल निगरानी की मांग वाली जनहित याचिका खारिज

बेहतर पारदर्शिता के लिए सभी निर्वाचित सांसदों और विधायकों की गतिविधियों की डिजिटल निगरानी की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया.

Supreme Court | PTI

नई दिल्ली, 1 मार्च : बेहतर पारदर्शिता के लिए सभी निर्वाचित सांसदों और विधायकों की गतिविधियों की डिजिटल निगरानी की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “देश के सभी सांसदों और विधायकों की हम निगरानी नहीं कर सकते. निजता का अधिकार नाम की भी कोई चीज़ है.

वे जो करते हैं उसकी निगरानी के लिए हम उनके पैरों या हाथों पर कुछ (इलेक्ट्रॉनिक) चिप्स नहीं लगा सकते." सभी विधायकों की चौबीस घंटे सीसीटीवी निगरानी के लिए दायर की गई याचिका पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का भी अपना निजी जीवन है. यह भी पढ़ें : CM Bhagwant Mann: पंजाब को सीएम भगवंत मान की बड़ी सौगात, इंस्टीच्यूट ऑफ लिवर साइंसेज का किया शुभारंभ

जब याचिकाकर्ता ने मामला प्रस्तुत करने के लिए 15 मिनट का समय मांगा तो शीर्ष अदालत ने उसे 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी.कोर्ट ने कहा, “5 लाख रुपए लगेंगे और अगर हम याचिका खारिज करते हैं तो इसे भू-राजस्व के बकाया के रूप में दिया जाएगा. यह समय की बर्बादी है."

याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर दलील दी कि सांसद और विधायक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वेतनभोगी प्रतिनिधि हैं जो कानून, योजना और नीतियां बनाने में लोगों की राय का प्रतिनिधित्व करते हैं और चुनाव के बाद शासक के रूप में व्यवहार करना शुरू कर देते हैं. जनहित याचिका में मांगी गई राहत से नाखुश सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. हालांकि, इसने याचिकाकर्ता पर कोई जुर्माना नहीं लगाया.

Share Now

\