सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा, तीस्ता, उनके पति को जेल वापस क्यों भेजना चाहते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के मामले में बुधवार को गुजरात सरकार और सीबीआई से सवाल किया, जो सात साल से अधिक समय से अग्रिम जमानत पर बाहर हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा, तीस्ता, उनके पति को जेल वापस क्यों भेजना चाहते हैं
सुप्रीम कोर्ट (File Photo)

नई दिल्ली, 26 जनवरी : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के मामले में बुधवार को गुजरात सरकार और सीबीआई से सवाल किया, जो सात साल से अधिक समय से अग्रिम जमानत पर बाहर हैं. पूछा, आप सरकार दोनों को जेल भेजना चाहते हैं? सीबीआई और गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता रजत नायर ने न्यायाधीश संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा किया कि मामलों के संबंध में अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर कुछ अतिरिक्त सामग्री लाने की आवश्यकता है और चार सप्ताह के समय का अनुरोध किया.

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा, सवाल यह है कि आप किसी को कब तक हिरासत में रख सकते हैं. शीर्ष अदालत सीतलवाड़, उनके पति, गुजरात पुलिस और सीबीआई द्वारा दंपति के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों से उत्पन्न याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रही थी. यह भी पढ़ें : फडणवीस नहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल को पत्र विवाद पर स्पष्टीकरण देना चाहिए : राकांपा

सीतलवाड़ और उनके पति का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अपर्णा भट ने कहा कि एक कार्यवाही में जहां सीबीआई अपील में आई है, अग्रिम जमानत दी गई थी जिसके बाद आरोप पत्र दायर किया गया था और उसके बाद उन्हें नियमित जमानत दी गई थी. इस पर पीठ ने कहा, अग्रिम जमानत दिए हुए सात साल बीत चुके हैं. आप उसे वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं..? सिब्बल ने कहा कि अग्रिम जमानत के खिलाफ जांच एजेंसी की अपील टिक नहीं पाती, क्योंकि नियमित जमानत पहले ही दी जा चुकी है.

नायर ने तर्क दिया कि यह एक मामले में हुआ था, लेकिन उसके खिलाफ एक से अधिक मामले हैं, और कहा कि इस मामले को दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा एक बड़ी पीठ को भेजा गया था और इस अदालत द्वारा तय किए जाने वाले प्रश्नों को तैयार किया गया था. खंडपीठ ने मामले की आगे की सुनवाई चार सप्ताह के लिए निर्धारित की है.

शीर्ष अदालत ने मार्च 2015 में, 2002 के दंगों में तबाह हुई अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में एक संग्रहालय के लिए धन के कथित गबन के संबंध में सीतलवाड़ और उनके पति की अग्रिम जमानत याचिका को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था और अपने अंतरिम आदेश की अवधि बढ़ा दी थी.


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