मोदी सरकार के खिलाफ संसद में दूसरा अविश्वास प्रस्ताव
विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव ले कर आई हैं.
विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव ले कर आई हैं. आंकड़ों की कमी को लेकर विपक्षी नेताओं ने कहा है कि प्रस्ताव मणिपुर पर प्रधानमंत्री की चुप्पी तुड़वाने के लिए लाया जा रहा है.कांग्रेस और बीआरएस पार्टियों ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिसदिया है. कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में पार्टी के उप-नेता गौरव गोगोई ने और बीआरएस की तरफ से लोकसभा में पार्टी के नेता नमा नागेश्वर राव ने प्रस्ताव पेश किया. स्पीकर ओम बिरला ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
संसद के नियमों के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव पर कार्रवाई शुरू करने के लिए स्पीकर की अनुमति लेनी होती है. अगर स्पीकर को लगता है कि प्रस्ताव में कोई त्रुटि नहीं है तो वो सदन में मौजूद सदस्यों से पूछते हैं कि कौन कौन प्रस्ताव का समर्थन करता है.
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
अगर कम से कम 50 सदस्य समर्थन देते हैं तो स्पीकर को प्रस्ताव को मानना पड़ता है और फिर आगे की कार्रवाई शुरू होती है. उसके बाद स्पीकर प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समय तय करते हैं. चर्चा पूरी हो जाने के बाद उसपर मतदान होता है. अगर बहुमत प्रस्ताव के पक्ष मेंपड़ा तो प्रस्ताव पारित हो जाता है और सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है.
मौजूदा लोकसभा में विपक्षी पार्टियों में अकेले कांग्रेस के पास ही 50 सांसद हैं, इसलिए पार्टी अगर चाहे तो प्रस्ताव पर चर्चा की स्वीकृति तो हासिल कर ही सकती है. इसलिए पार्टी ने लोकसभा में अपने सदस्यों के लिए तीन लाइनों का व्हिप भी जारी किया है. संसद के नियमों के तहत हर सदस्य को उसकी पार्टी द्वारा जारी तीन लाइनों के व्हिप को मानना अनिवार्य होता है, नहीं तो उसकी संसद सदस्यता भी जा सकती है. कांग्रेस अपने सभी सदस्यों की मौजूदगी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है.
बीआरएस के पास लोकसभा में नौ सदस्य हैं, जो प्रस्ताव को अतिरिक्त बल देंगे. इसके अलावा कई और विपक्षी पार्टियों के भी समर्थन की उम्मीद की जा रही है. हाल ही में विपक्षी पार्टियों की एक बैठक में 26 पार्टियां शामिल हुई थीं, जिनके पास लोकसभा में 150 से कुछ कम सीटें हैं.
मणिपुर का सवाल
प्रस्ताव को पारित कराने के लिए इतनी संख्या काफी नहीं है, इसलिए इस प्रस्ताव के सफल होने की उम्मीद नहीं की जा रही है. लेकिन विपक्ष के कुछ नेताओं का कहना है कि सवाल संख्या का नहीं बल्कि मणिपुर पर प्रधानमंत्री की चुप्पीको तुड़वाने का है. इनमें आरजेडी के सांसद मनोज झा भी शामिल हैं.
यह मोदी सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है. पहला प्रस्ताव 2018 में लाया गया था, जिसके अंत में सरकार को 325 और विपक्ष को 126 वोट मिले थे. कुछ रिपोर्टों के मुताबिक भारतीय संसद के इतिहास में आज तक 27 पास अविश्वास प्रस्ताव लाये गए हैं, जिनमें से सिर्फ एक सफल हुआ है. अप्रैल 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी और सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था.