S-400 सुपरसोनिक मिसाइल जल्द बनेगी भारतीय फौज की शान, दुश्मन देश होंगे पस्त

जल्द ही भारतीय सेना आधुनिक हथियारों के लिहाज से और भी मजबूत होनेवाली है. दरअसल भारत और रूस के बीच एस-400 लंबी दूरी के सुपरसोनिक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा लगभग पूरा होनेवाला है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits : IANS)

नई दिल्ली: जल्द ही भारतीय सेना आधुनिक हथियारों के लिहाज से और भी मजबूत होनेवाली है. दरअसल भारत और रूस के बीच एस-400 लंबी दूरी के सुपरसोनिक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा लगभग पूरा होनेवाला है. इसके अलाव भारत और रूस के बीच पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के संयुक्त विकास के लिए बातचीत अभी बंद नहीं हुई है.

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा की रूस से खरीदे जाने वाले एस-400 लंबी दूरी के सुपरसोनिक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का समझौता लगभग पूरा होने के चरण में है. यह जल्द ही पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि समझौता होने के ढाई से चार साल के बीच देश में यह सिस्टम सेना के पास होगा.

सीतारमण ने हालांकि इस प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का सौदा कितने समय में पूरा होगा, इसकी जानकारी नहीं दी. उन्होंने कहा “यह सौदा कब तक पूरा हो पाएगा, इस बारे में नहीं कह सकती."

आधुनिक तकनीक के साथ बना एस-400 चार सौ किलोमीटर के दायरे में आने वाले दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, ड्रोनों या छुपे हुए विमानों को कुछ ही समय में नेस्तनाबूद कर सकता है. वहीं एस-400 के लॉंचर से दुश्मन के विमान या मिसाइल पर तीन सेंकड में दो मिसाइलें छोड़ी जा सकती हैं. इसके द्वारा छोड़ी गई मिसाइलो की रफ्तार 5 किलोमीटर प्रति सेंकड की रफ्तार से छूटती हैं और 35 किलोमीटर की ऊंचाई तक वार कर सकती हैं.

वहीं पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान मामले में रूस से फिर भारत बात करनेवाला है. दरअसल भारत ने पहले ज्यादा कीमत की वजह से अनिच्छा जताई थी लेकिन उचित लागत के लिए कोई फार्मूला निकालने पर वह फिर से विचार करने का तैयार हो गया है. इस परियोजना पर भारत और रूस के बीच 2007 में समझौता हुआ था. पिछले 11 सालों से यह परियोजना लटकी हुई है क्योंकि इसकी कीमत पर दोनों में मतभेद है.

दोनों देशों की यह परियोजना पर करीब 30 अरब डालर से दो लाख करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान जताया गया है. बता दें की भारत और रूस ने इस बडी परियोजना के लिए वर्ष 2007 में एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये थे और सैन्य संबंधों को और भी मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई थी.

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