पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते खुदरा महंगाई बढ़कर 5 फीसदी हुई
खाने-पीने की चीजों और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मई में देश की खुदरा मुद्रास्फीति दर बढ़कर पांच फीसदी के करीब पहुंच गई है.
नई दिल्ली: खाने-पीने की चीजों और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मई में देश की खुदरा मुद्रास्फीति दर बढ़कर पांच फीसदी के करीब पहुंच गई है. जबकि विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से औद्योगिक उत्पादन अप्रैल में बढ़कर 4.9 फीसदी रहा. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने मंगलवार को मई के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और अप्रैल के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी किए.
सीएसओ के मुताबिक, मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) 4.87 फीसदी रहा, जोकि साल 2017 के मई की तुलना में दोगुना है. पिछले साल इसी महीने में सीपीआई की दर 2.18 फीसदी थी, जबकि इस साल अप्रैल में यह 4.58 फीसदी थी.
इसी तरह से उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) की दर मई में बढ़कर 3.1 फीसदी हो गई, जोकि इसके पिछले महीने 2.8 फीसदी थी.
ग्रामीण क्षेत्र में सीपीआई की सालाना दर बढ़कर 4.88 फीसदी रही, जबकि शहरी भारत में यह बढ़कर 4.72 फीसदी रही.
इसके अलावा, आंकड़ों से पता चलता है कि साल-दर-साल आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति दर में तेजी मुख्य तौर से खाने-पीने की चीजों जैसे सब्जियों, दुध उत्पादों, अंडों, मांस-मछलियों की दाम में महंगाई बढ़ने से आई है.
मई में सब्जियों का उपसूचकांक बढ़कर 8.04 फीसदी रहा, जबकि दुग्ध उत्पादों की कीमतों में 3.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
अन्य महत्वपूर्ण उप-श्रेणियों जैसे अनाज के दाम में 2.78 फीसदी, मांस और मछली की कीमतों में रिकार्ड 3.53 फीसदी की तेजी आई.
समीक्षाधीन माह में खाद्य और वेबरेज श्रेणी में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 3.37 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
गैर-खाद्य श्रेणी में 'ईंधन और बिजली' खंड में मई में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.8 फीसदी रही.
सीएसओ द्वारा जारी आईआईपी के आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन बढ़ने से खासतौर से और पूंजीगत वस्तुओं और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन बढ़ने से देश का औद्योगिक उत्पादन बढ़कर अप्रैल में 4.9 फीसदी रहा, जोकि मार्च में 4.57 फीसदी पर था.
आईसीआरए की प्रमुख अर्थशा अदिति नायर ने कहा, "मुद्रास्फीति की दर जून में करीब 5.3 तक पहुंच जाएगी, उसके बाद आनेवाले महीनों में इसमें कमी होने की संभावना है."
उन्होंने कहा, "फिर भी, मॉनसून का विस्तार, एमएसपी में संशोधन, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और रुपये में तेजी के साथ-साथ राजकोषीय जोखिमों का विकास, मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा."