रामेश्वरम: अतरनकारई में मिला 35 वर्षीय व्हेल शार्क का शव, चट्टानों से टकराकर मरने की खबर

रामनाथपुरम जिले के अलकानकुलम क्षेत्र के अतरनकारई के पास शनिवार को एक 35 वर्षीय व्हेल शार्क का शव क्षत-विक्षत रूप में मिला. मृत व्हेल शार्क की लम्बाई 6.3 मीटर और चौड़ाई 3.6 मीटर बताई जा रही है. रामनाथपुरम के वन रेंज अधिकारी सतीश का कहना कि मृत व्हेल शार्क की मौत समुद्र में चट्टानों से टकराने की वजह से हुई है.

मृत व्हेल शार्क (Photo Credits: ANI)

रामेश्वरम: रामनाथपुरम जिले (Ramanathapuram District) के अलकानकुलम (Alakankulam) क्षेत्र के अतरनकारई (Atrankarai) के पास शनिवार को एक 35 वर्षीय व्हेल शार्क का शव क्षत-विक्षत रूप में मिला. मृत व्हेल शार्क की लम्बाई 6.3 मीटर और चौड़ाई 3.6 मीटर बताई जा रही है. रामनाथपुरम के वन रेंज अधिकारी सतीश का कहना कि मृत व्हेल शार्क की मौत समुद्र में चट्टानों से टकराने की वजह से हुई है. उन्होंने कहा कि मृत व्हेल शार्क के शरीर की अंदरूनी भाग से रक्तस्राव के संकेत मिल रहे थे. मृत व्हेल शार्क को समुद्र के किनारे एक गड्ढे में एसिड डालकर दफना दिया गया है.

बता दें कि देश में गुजरात का तटवर्ती क्षेत्र व्हेल शार्क का प्रजनन क्षेत्र है. इससे पहले हाल ही में भारतीय शोधकर्ताओं को मन्नार की खाड़ी में सेतुकराई तट पर रंग बदलने वाली एक दुर्लभ मछली मिली है. यह इलाका समुद्री जैवविविधता के मामले में दुनिया के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है. केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के वैज्ञानिकों ने बताया कि समुद्री घास में छिपकर रहने वाली 'बैंडटेल स्कॉर्पियनफिश' दुर्लभ प्रजाति है और यह जहरीले कांटे से लैस है एवं रंग बदलने में सक्षम है.

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कोच्चि स्थित सीएमएफआरआई ने रविवार को जारी बयान में कहा, 'पहली बार भारतीय जलसीमा में यह प्रजाति जिंदा मिली है.' बयान के मुताबिक यह बहुत ही दुर्लभ प्रजाति है और इसके कुछ गुण समुद्री वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित करते हैं. यह रंग बदलने और शिकारियों से बचने के लिए आसपास के माहौल में छिपने में सक्षम है.

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