रेलवे बजट में इस बार बुनियादी ढांचे के विकास, मेक इन इंडिया हाई स्पीड ट्रेनों और अधूरे पड़े प्रॉजेक्ट को पूरा करने पर जोर रहेगा. इस बार के केंद्रीय बजट 2023-24 में मोदी सरकार का पूरा जोर बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रुप से रेलवे से जुड़ी परियोजनाओं और हाई स्पीड ट्रेनों को जल्द से जल्द पटरी पर लाने पर रहेगा. मोदी सरकार पूरे रेलवे सिस्टम के इंफ्रास्ट्रक्च र को मजबूत करने के लिए रेल बजट में 20-25 फीसदी की बढ़ोतरी करने पर काम कर रही है. रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 2023-24 में इस क्षेत्र के लिए लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की संभावना है, जो 2022-23 में 1.4 लाख करोड़ रुपये था. यह भी पढ़ें: नीतीश के साथ फिर से हाथ मिलाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है- भाजपा
रेल मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार इस बजट में नई पटरियां बिछाने, सेमी-हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेनों की संख्या में इजाफा, हाइड्रोजन-चालित ट्रेनों की शुरूआत के साथ-साथ अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अधिक आवंटन किया जायेगा. बजट में, भारतीय रेलवे का उद्देश्य सभी एक्सप्रेस और मेल ट्रेनों के पारंपरिक कोचों को भारत निर्मित और जर्मन-विकसित एलएचबी कोचों से बदलने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेना है.
विजन 2024 की परियोजनाओं के तहत, दशक के उत्तरार्ध में, नए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और हाई स्पीड पैसेंजर कॉरिडोर को चालू करने के अलावा, भीड़भाड़ वाले मार्गों के मल्टीट्रैकिंग और सिग्नलिंग अपग्रेडेशन का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत भारतीय रेलवे द्वारा 1,000 से अधिक स्टेशनों के बुनियादी ढांचे का तेजी से पुनर्विकास करने का लक्ष्य है.
दरअसल मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना, भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के कारण काफी प्रभावित हुआ. रेल मंत्रालय द्वारा संसद में पेश की गई जानकारी के अनुसार, 31 दिसंबर 2022 तक 508.09 किलोमीटर कॉरिडोर पर समग्र भौतिक प्रगति केवल 24.73 प्रतिशत थी. पिछले साल 2022-23 के वित्तीय वर्ष में, नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरिडोर लिमिटेड -- कार्यान्वयन एजेंसी -- को 19,102 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बुलेट ट्रेन परियोजना की लागत अनुमानित 1.08 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है.
उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार रेलवे के बजट में 20 फीसदी तक का इजाफा करेगी. इससे पहले बजट पूर्व बैठक में रेलवे बोर्ड ने वित्त मंत्रालय बजट एलोकेशन में 25-30 फीसदी अधिक फंड की मांग की. ऐसे में इस बार सरकार रेल मंत्रालय को बजट में करीब 2 ट्रिलियन रुपये का फंड दे सकती है.
केंद्र सरकार अधिकतर निवेश रेलवे के आधुनिकीकरण में ही करेगी. साथ ही ट्रेनों के निर्माण के लिए रेलवे बेहतर घरेलू इंफ्रास्ट्रक्च र का निर्माण करने पर भी ध्यान दे रही है. इसमें ट्रेनों के पहियों को लेकर विदेशी निर्भरता कम करने की भी योजना बनाई जा रही है.
सरकार सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों के 400 से अधिक नए रेक और तीन दर्जन से अधिक हाइड्रोजन-संचालित यात्री ट्रेनों की भी घोषणा कर सकती है.
इसके मुताबिक नई वंदे भारत और हाइड्रोजन से चलने वाली यात्री ट्रेनों सहित नई ट्रेनों की घोषणा 2023-24 के आगामी वार्षिक बजट में होने की संभावना है.
ऐसा माना जनता है कि साल 2023 भारतीय रेलवे के लिए गेम-चेंजर साबित होगा, जिसमें हाई-स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की सफलता के बाद, 2023 में वंदे भारत के स्लीपर कोच वर्जन की हाइड्रोजन-संचालित वंदे भारत ट्रेनों की शुरूआत, बेहतरीन सेवाओं के साथ यात्रियों के अनुभव को यादगार बनाने की तैयारी की जा रही है.
भारतीय रेलवे वर्तमान में हाइड्रोजन-ईंधन सेल संचालित पर्यावरण के अनुकूल वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण कर रहा है जो 1950-60 के दशक में डिजाइन की गई पुरानी ट्रेनों की जगह लेगी.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में घोषणा की थी कि ये रेलवे के लिए एक अहम कदम साबित होगा. हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें मध्यम और निम्न वर्ग की जरूरतों को ध्यान में रख कर चलाई जायेगी. ये ट्रेनें प्रत्येक भारतीय के दैनिक जीवन में परिवर्तनकारी बदलाव लाने में मददगार साबित होंगी. यह भारतीय रेलवे की सबसे बड़ी हरित-पहलों में से एक है.
जानकारी के अनुसार ये हाइड्रोजन ट्रेनें ईंधन की बचत करती हैं और बहुत कम शोर करती हैं जिसके परिणामस्वरूप बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं होता है. ये ट्रेनें कथित तौर पर केवल भाप और वाष्पित पानी का उत्सर्जन करेंगी. ये ट्रेनें भारत की पहली और दुनिया की दूसरी हाइड्रोजन ट्रेन होने जा रही है क्योंकि जर्मनी एकमात्र ऐसा देश है जिसने दुनिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पेश की है.
हालांकि लॉन्च की सटीक तारीख अभी भी सामने नहीं आई है, वैष्णव ने कहा है कि डिजाइन मई और जून 2023 के बीच आने की संभावना है. ऐसे में इस बार के बजट में इन हाइड्रोजन ट्रेनों को लेकर भी केंद्र की ओर से महत्वपूर्ण घोषणा की जा सकती है.
साल 2023 में कुछ प्रमुख रेलवे प्रोजेट्स जिन पर मंत्रालय का जोर रहेगा:
चिनाब नदी रेलवे ब्रिज : चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा सिंगल-आर्क रेलवे पुल बनाया जा रहा है। चिनाब नदी रेलवे ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का एक हिस्सा है. 9.2 करोड़ डॉलर के बजट वाली 1.3 किलोमीटर लंबी यह परियोजना कश्मीर घाटी को शेष भारत से रेल नेटवर्क के माध्यम से जोड़ेगी. चिनाब रिवर रेलवे ब्रिज एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्च र (इंडिया), वीएसएल इंडिया और दक्षिण कोरिया की अल्ट्रा कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग कंपनी का संयुक्त उपक्रम है. यह रेल के माध्यम से कश्मीर पहुंचने की तरफ एक और कदम है.
रैपिड ट्रेन का परिचालन : दिल्ली से मेरठ के बीच वर्ष 2025 में रैपिड ट्रेन का परिचालन किया जाना है। इस पूरे रेलवे कॉरिडोर को तीन खंड में पूरा किया जाना है. इसका पहला खंड साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच 17 किलोमीटर लंबा है.
इस खंड पर रैपिड रेल को मार्च 2023 से यात्रा के लिए शुरू किया जाना है। इस खंड पर ट्रैक बनाने का कार्य पूरा हो गया है. यहां पर अब ओवरहेड इक्विपमेंट लाइन के इंस्टालेशन का कार्य चल रहा है. मार्च, 2023 से यह दुहाई डिपो से साहिबाबाद के बीच यात्रियों के लिए दौड़ने लगेगी.
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना : गुजरात के आठ जिलों और दादरा और नगर हवेली से गुजरने वाले समानांतर के साथ-साथ निर्माण कार्य शुरू हो गया है. वर्षों तक अधर में लटके रहने के बाद, बुलेट ट्रेन परियोजना ने हाल ही में गति पकड़ी है, जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है. अधिकारियों के अनुसार, परियोजना 2027 में पूरी हो सकती है.
बइरबी-साईरंग नई लाइन रेलवे परियोजना : पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए बइरबी-साईरंग नई लाइन रेलवे परियोजना पर काम जारी है.
परियोजना के पूरे हो जाने के बाद देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विशेष रूप से मिजोरम में संचार और वाणिज्य के मामले में एक नए युग की शुरूआत होगी। बैराबी-सैरांग परियोजना का लक्ष्य पूर्वोत्तर भारत में अतिरिक्त 51.38 किमी रेलवे ट्रैक बनाना है.
भालुकपोंग-तवांग लाइन : भालुकपोंग-तवांग लाइन पूर्वोत्तर के महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है, जो उस क्षेत्र में सेना की व्यापक जरूरतों को पूरा करेगी, जहां चीन के साथ तनाव बढ़ा हुआ है. प्रस्तावित लाइन में कई सुरंगें होंगी और ये 10,000 फुट से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बनाई जाएंगी.