चंडीगढ़, 19 मार्च: खुफिया सूचना में कहा गया है कि खालिस्तान समर्थक उपदेशक अमृतपाल सिंह हथियारों को जमा करने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों और एक गुरुद्वारे का इस्तेमाल कर रहा था और आत्मघाती हमले के लिए युवाओं को तैयार कर रहा था. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.
विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के साथ एक डोजियर (ऐसी फाइल जिसमें किसी व्यक्ति, घटना या विषय पर विस्तृत जानकारी हो) तैयार किया गया है. इसमें दावा किया गया है कि सिंह युवाओं को ‘खाड़कू’ या मानव बम बनाने के वास्ते उन्हें तैयार करने में मुख्य रूप से शामिल था. सिंह पिछले साल कथित रूप से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और विदेशों में रहने वाले खालिस्तान के हमदर्दों के कहने पर दुबई से भारत लौटा था. Internet Suspended in Punjab: अमृतपाल सिंह अभी भी फरार, पंजाब में इंटरनेट, SMS सेवाओं के निलंबन की अवधि सोमवार तक बढ़ी
उसके ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के खिलाफ शनिवार को पंजाब सरकार की ओर से की गई कार्रवाई के बाद से ही स्वयंभू कट्टरपंथी उपदेशक फरार है. इस कार्रवाई के तहत संगठन के 78 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था.
विशेषज्ञों और पंजाब की स्थिति पर नज़र रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक, अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान भारत में अमृतपाल सिंह जैसे अपने लोगों को सक्रिय कर अपने यहां ध्यान भटकाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. भारत के खिलाफ लड़ी हर जंग में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है.
मामले की जांच के दौरान, सिंह द्वारा स्थापित तथाकथित आनंदपुर खालसा फ्रंट (एकेएफ) के लिए लाए गए हथियार और गोलाबारूद को जब्त किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने वर्दियां और जैकेट भी जब्त किए हैं. उनके मुताबिक, हथियार और गोलाबारूद कट्टरपंथी सिख उपदेशक की कार से जब्त किए गए हैं जिस पर “एकेएफ” चिन्हित था.
अधिकारियों ने कहा कि ‘वारिस पंजाब दे’ द्वारा संचालित कई नशा-मुक्ति केंद्रों और अमृतसर के एक गुरुद्वार में हथियारों को अवैध रूप से जमा किया जा रहा है.
अधिकारियों के अनुसार नशा-मुक्ति केंद्रों में भर्ती होने वाले युवाओं को गुमराह किया जाता और उन्हें ‘बंदूक की संस्कृति’ की ओर धकेला जाता था. अधिकारियों ने बताया कि उन्हें मृत आतंकवादी दिलावर सिंह के रास्ते पर चलने के लिए उकसाया जाता था जिसने आत्मघाती हमला कर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या की थी.
कट्टरपंथी उपदेशक मारे गए आतंकवादियों के "शहीदी समागम" में शामिल होता था, जहां वह उन्हें "पंथ” का तथाकथित “शहीद" करार देता था और हथियारों के इस्तेमाल का महिमामंडन करता था.
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