चेन्नई: तमिलनाडु में मतगणना जारी है. अभी तक के रुझानों में DMK कमाल करती दिख रही है. शाम तक रिजल्ट साफ हो जाएगा कि आखिर दक्षिण भारत के इस बड़े राज्य में कौन जीता और कौन पिछड़ा. यहां मुख्य लड़ाई एआईएडीएमके और डीएमके के बीच है. एग्जिट पोल में डीएमके क्लीन स्वीप मारते हुए दिखी. मौजूदा समय में सूबे में AIADMK की सरकार है. इस बार BJP और AIADMK गठबंधन में चुनावी ताल ठोंक रहे हैं. जबकि DMK कांग्रेस के साथ गठबंधन में है. यहां किसी भी दल को सरकार बनने के लिए 118 सीटों की जरूरत पड़ेगी.
तमिलनाडु की 234 सीटों में से 231 सीटों के रुझान आ चुके हैं. इसमें से 118 सीटों पर डीएमके आगे है. यानी रुझानों में डीएमके को बहुमत मिल गया है. वहीं, एआईडीएमके 79 सीटों पर आगे है. बीजेपी यहां मात्र 4 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 12 सीटों पर आगे चल रही है.
इस चुनाव में AIADMK को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है. यहां जानिए AIADMK के पिछड़ने के 3 बड़े कारण
जयललिता का अभाव
AIADMK ने यह चुनाव जयललिता के अभाव में लड़ा, जिसका असर उनके रिजल्ट पर पड़ा है. AIADMK पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की पार्टी है. जबतक जयललिता जीवित थीं, तबतक पार्टी और सत्ता की कमान उनके पास थी और उनका जादू तमिलनाडु की जनता पर चलता था. जयललिता के निधन के बाद से AIADMK कमजोर हुई है.
विपक्ष को कमजोर आंकना
तमिलनाडु में विपक्ष ने हमेशा से ही अपनी ताकत दिखाई है. AIADMK हो या बीजेपी DMK ने दोनों पार्टियों के विरोध में राज्य में माहौल बनाया. DMK हमेशा से यही कहती आई है कि तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक सरकार को केंद्र की बीजेपी चला रही है. अन्नाद्रमुक के पास साहस की कमी है. DMK ने हर मौके पर AIADMK और बीजेपी का विरोध किया. जिसका असर वोटर्स पर पड़ा. पलानीस्वामी और बीजेपी दोनों DMK को कमजोर आंकने की गलती कर गए.
स्टालिन की लोकप्रियता
पिछले कुछ समय में एम के स्टालिन की लोकप्रियता बढ़ी है. उन्होंने सत्ताधारी AIADMK के विरोध में जो लहर तैयार की उसका असर दिख रहा है. एम करुणानिधि के निधन के बाद उनके बेटे एम के स्टालिन ने पार्टी की कमान को बखूबी संभाला. इस चुनाव में एमके स्टालिन पसंदीदा चेहरे के तौर पर उभरे हैं. एमके स्टालिन को 46 फीसदी लोगों ने सीएम पद के लिए अपनी पहली पसंद बताया है.