पणजी: गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने गुरुवार को कहा कि 2016 में जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सर्जिकल स्ट्राइक के साथ आगे बढ़ने का दमदार फैसले लेने वाले वर्तमान शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को उसका श्रेय देने से इनकार नहीं किया जा सकता. 29 सितंबर, 2016 को हुई सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान पर्रिकर रक्षा मंत्री का पदभार संभाल रहे थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया फुटेज स्ट्राइक के वास्तविक सबूत का मात्र एक टुकड़ा भर था. पर्रिकर ने गुरुवार को राज्य सचिवालय में एक चैनल को बताया, "कुल मिलाकर यह कार्रवाई सशस्त्र बलों ने की थी और इसका पूरा श्रेय सशस्त्र बलों को जाना चाहिए. लेकिन आप शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को श्रेय देने से इनकार नहीं कर सकते, जिसने इतना दमदार फैसला लिया."
उन्होंने कहा, "यह एक बहुत बड़ा अभियान था, जिसे विस्तृत योजना और तैयारी के बाद किया गया था. मेरा मानना है कि यह सिर्फ इसलिए हो सका, क्योंकि प्रधानमंत्री का नेतृत्व काफी महत्वपूर्ण था. प्रधानमंत्री ने पहले दिन से ही इस फैसले के समर्थक रहे थे."
पर्रिकर ने कहा, "निर्णय लेने के दौरान मेरे पास निश्चित रूप से प्रधानमंत्री का समर्थन था लेकिन अगर यह आगे बढ़ता है तो .. अगर यह सीमित अभियान से बाहर हो जाता और अगर जवाबी कार्रवाई हुई, तो क्या होगा? हमें किसी भी घटना के लिए खुद को तैयार करना पड़ा. हमारी योजना न केवल छोटे अभियान के बारे में बात करती है, बल्कि कुछ गलत होने पर अभियान की पूर्ण विफलता के बारे में जानकारी भी देती है. यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा था."
अभियान की आलोचना और इसकी सत्यता पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए, के सवाल पर पर्रिकर ने कहा, "मुझे लगता है कि उन्हें अपनी गलती का अहसास होना चाहिए. मुझे नहीं पता कि माफी इसके लिए सही शब्द होगा या नहीं. लेकिन उन्हें अब से राष्ट्रीय हितों और सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों में टिप्पणी करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए."
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीतिक रोटियां सेंकना सशस्त्र बलों का अपमान करना होगा.