मध्यप्रदेश की कमान एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के हाथों में, आज रात 9 बजे लेंगे सीएम पद की शपथ

खबरों की माने तो देश में फैले कोरोना वायरस के महामारी के चलते बीजेपी नेता व पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान आज शाम सादगी के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनके शपथ के बारे में इस तरफ की जानकरी है कि राजभवन के भीतर शपथ की तैयारी शुरू हो गई है. कहा जा रहा है उनके सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही बीजेपी के कुछ वरिष्ठ विधायक भी उनके साथ कैबिनेट की शपथ ले सकते हैं.

शिवराज सिंह चौहान (Photo Credits ANI)

भोपाल: मध्यप्रदेश में पिछले एक महीने से चले सियासी नाटक को खत्म होने और कमलनाथ को सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश की कमान एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को सौंपी जाने वाली है. जिसकों लेकर भोपला में आज बीजेपी विधायक दल की बैठक होने वाली है. कहा जा रहा है कि बैठक में चौहान को विधायक दल का नेता चुने जाएंगे. जिसके बाद वे आज रात 9 बजे राजभवन में  मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सीएम के रूप में शपथ लेंगे.  बीजेपी पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि विधायक दल की इस बैठक की निगरानी ऑब्जर्वर दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाएगी.

खबरों की माने तो देश में फैले कोरोना वायरस के महामारी के चलते बीजेपी नेता व पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान शाम को बिना किसी भीड़ भाड़ के बड़े ही सादगी के साथ  सीएम पद की शपथ लेंगे. उनके शपथ के बारे में इस तरफ की जानकरी है कि राजभवन के भीतर शपथ की तैयारी शुरू भी हो गई है. कहा जा रहा है उनके शपथ लेने के साथ ही बीजेपी के कुछ वरिष्ठ विधायक भी उनके साथ कैबिनेट की शपथ ले सकते हैं. यह भी पढ़े: मध्य प्रदेश सियासी संकट: शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह को बताया-देश का सबसे बड़ा ड्रामेबाज

शिवराज सिंह चौहान आज रात 9 बजे लेंगे सीएम पद की शपथ

चौथी बार लेंगे सीएम पद की शपथ:

बीजेपी की बैठक में शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद सीएम पद की शपथ लेते है तो वे चौथीं बार मध्यप्रदेश की कमान संभालेंगे. चौहान पहली बार 29 नवंबर 2005 प्रदेश के सीएम बने थे. इसके बाद वे 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार, फिर 8 दिसंबर 2013 को शिवराज ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में पूर्व बहुमत नहीं मिलने से उनके हाथ से प्रदेश की कमान निकल गई.

जिसके बाद कांग्रेस पार्टी कुछ अन्य निर्दलियों को लेकर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाई और राज्य की कामन कमलनाथ को सौंपी गई. लेकिन कांग्रेस युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों को इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई. जिसके बाद कमलनाथ को सीएम पद से महज डेढ़ ही साल में इस्तीफा देना पड़ा.

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