बिहार: शहाबुद्दीन की पत्नी हिना और बेटे ओसामा RJD में हुए शामिल, लालू ने दिलाई पार्टी की सदस्यता

शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब और पत्नी हिना शहाब ने आरजेडी की सदस्यता ग्रहण की. इस अवसर पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मौजूद थे.

पूर्व आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के परिवार ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल होकर राजनीति में एक नया मोड़ लिया है. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब और पत्नी हिना शहाब ने पटना स्थित राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड आवास पर आयोजित एक समारोह में आरजेडी की सदस्यता ग्रहण की. इस अवसर पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मौजूद थे.

सिवान में राजनीतिक मजबूत कदम 

ओसामा और हिना का आरजेडी में शामिल होना सिवान के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है. माना जा रहा है कि शहाबुद्दीन परिवार का पार्टी में प्रवेश आरजेडी के जनाधार को मजबूत करेगा और सिवान क्षेत्र में पार्टी की स्थिति को और सुदृढ़ बनाएगा. शहाबुद्दीन का परिवार पहले से ही इस क्षेत्र में प्रभावशाली माना जाता है, और उनके शामिल होने से पार्टी को लाभ होने की उम्मीद है.

पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है. उनका मानना है कि इससे सिवान और आसपास के क्षेत्रों में आरजेडी का समर्थन बढ़ेगा. शहाबुद्दीन परिवार का आरजेडी से गहरा नाता रहा है, और उनके बेटे और पत्नी का पार्टी में शामिल होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम माना जा रहा है.

ईशान किशन के पिता का जेडीयू में प्रवेश 

इस बीच, भारतीय क्रिकेटर ईशान किशन के पिता प्रणव कुमार पांडे भी आज जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में शामिल होने जा रहे हैं. जेडीयू कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी. प्रणव पांडे के जुड़ने से पार्टी को उनके समर्थकों का समर्थन मिलने की उम्मीद है.

जेडीयू के नेताओं का मानना है कि प्रणव पांडे की पार्टी में उपस्थिति से एक सकारात्मक संदेश जाएगा. उनके साथ कई अन्य समर्थकों के भी जेडीयू में शामिल होने की संभावना है, जिससे आगामी चुनावों में जेडीयू को बढ़त मिल सकती है.

इस प्रकार, शहाबुद्दीन परिवार का आरजेडी में प्रवेश और ईशान किशन के पिता का जेडीयू में शामिल होना बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं. ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि कैसे राजनीतिक गठजोड़ और परिवारों के संबंध चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर सकते हैं. दोनों पार्टियों के लिए ये नए सदस्य न केवल ताकतवर नाम हैं, बल्कि ये अपनी-अपनी पार्टियों की स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

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