बागी विधायकों को विश्वास मत में शामिल होने को मजबूर नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश सुनाया कि कर्नाटक विधानसभा में इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के 15 विधायकों को सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि विधानसभा स्पीकर संविधान के अनुसार, इस्तीफों पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. स्पीकर को संविधान के अनुच्छेद 190 तथा संबद्ध नियमों के अनुसार विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लेना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को आदेश सुनाया कि कर्नाटक विधानसभा (Karnataka Legislative Assembly) में इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के 15 विधायकों को सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) संविधान के अनुसार, इस्तीफों पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है.

आदेश के अनुसार, विधायक गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में होने जा रहे विश्वास मत को छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं. अदालत कर्नाटक के 15 बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्पीकर को उनके इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश देने के लिए कहा गया था.

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सदन में 18 जुलाई को होने वाले विश्वास मत को देखते हुए अदालत ने कहा, "स्पीकर को स्वतंत्र होकर फैसला करना चाहिए, अदालत इस प्रक्रिया के बीच में नहीं आएगी." मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बागी विधायक विश्वास मत में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं हैं. पीठ ने कहा कि स्पीकर का निर्णय अदालत में पेश होना चाहिए.

अदालत ने कहा कि मामले की पस्थितियों और तथ्यों को देखते हुए और संविधानिक संतुलन तथा राजनीतिक दलों के अधिकारों को कायम रखने के लिए वह अंतरिम आदेश दे रही है. अदालत ने कहा कि स्पीकर को संविधान के अनुच्छेद 190 तथा संबद्ध नियमों के अनुसार विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लेना चाहिए.

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