नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जल्द ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं. यह कार्यक्रम नागपुर में होनेवाला है. कांग्रेस पार्टी से लंबे समय तक जुड़े रहने वाले प्रणव मुखर्जी के इस फैसले के बाद से सियासी पारा गरमा गया है. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी अचरज में पड़ गई है और अधिकतर नेता मुखर्जी के इस फैसले पर बोलने से कन्नी काट रहे है.
जानकारी के मुताबिक अगले महीने 7 जून को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में होने वाले कार्यक्रम में स्वयंसेवकों के विदाई संबोधन के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था. जिसे प्रणब मुखर्जी ने स्वीकार भी कर लिया है. मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसकी पुष्टि खुद प्रणब मुखर्जी के कार्यालय के एक अधिकारी ने की है. अधिकारी ने कहा, "ये सही है कि प्रणब मुखर्जी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नागपुर जाएंगे और 8 जून को वापस लौटेंगे.
इस कार्यक्रम में बीजेपी के बड़े नेता और संघ के बड़े प्रचारक हिस्सा लेनेवाले है. संघ हर साल इसी समय यह कार्यक्रम करता है. इसमें शिक्षा लेने के बाद संघ के कार्यकर्ता पूर्णकालिक प्रचारक बन सकते हैं. इस कार्यक्रम में 800 से अधिक कार्यकर्ता शामिल होंगे.
कुछ कांग्रेसी प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने के फैसले का खुलकर विरोध कर रहे है. कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि जो आरएसएस के खिलाफ विचार रखते थे अब वह उनके ही कार्यक्रम में जाने को तैयार हो गए हैं, ऐसे में वह क्या कहते हैं, देखना दिलचस्प होगा.
दीक्षित ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि 'प्रणव मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले सवाल उठा चुके हैं. आरएसएस को ये बातें पता होंगी. अगर उन्हें संघ अपने कार्यक्रम में बुला रहा है तो क्या प्रणव मुखर्जी ने अपनी विचारधारा बदली है या आरएसएस में कोई स्वाभिमान नहीं बचा है.'
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इसपर पूछे सवाल से बचते हुए दिखाई दिए और कहा, "मुझे लगता है कि श्रेष्ठ व्यक्ति जो इस सवाल का जवाब दे सकता है, वह पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी खुद हैं. उन्हें निमंत्रण दिया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है, यानि प्रत्यक्ष तौर पर वह जा रहे हैं."
दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति के फैसले का पक्ष रखते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और संघ से लंबे समय तक जुड़ चुके नितिन गडकरी ने कहा कि क्या आरएसएस कोई पाकिस्तानी संगठन है, जो इस तरह मामले को उठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 'लोग तो दारू की दुकान पर जाते हैं, लेडीज बार में जाते हैं. ऐसे में अगर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जा रहे हैं तो इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.'