Parliament Monsoon Session: संसद का मानसून सत्र शुरू, राज्यसभा में उपसभापति का होगा चुनाव, जानें इसके नियम
कोरोना महामारी के बीच संसद का मानसून सत्र सोमवार यानी आज से शुरू हो चुका है. इस सत्र में सीमा पर गतिरोध, कोरोना वायरस महामारी से निपटने और आर्थिक स्थिति जैसे मुद्दे छाए रहने की संभावना है. इसके साथ ही आज राज्यसभा के उपसभापति के लिए वोट भी डाले जाएंगे, जिसमें जेडीयू के हरिवंश और मनोज झा आमने-सामने हैं.
कोरोना महामारी के बीच संसद का मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) सोमवार यानी आज से शुरू हो चुका है. इस सत्र में सीमा पर गतिरोध, कोरोना वायरस महामारी से निपटने और आर्थिक स्थिति जैसे मुद्दे छाए रहने की संभावना है. इसके साथ ही आज राज्यसभा के उपसभापति के लिए वोट भी डाले जाएंगे, जिसमें जेडीयू के हरिवंश और मनोज झा आमने-सामने हैं. संसद के मानसून सत्र के पहले दिन, सोमवार को लोकसभा में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee), प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज (Pandit Jasraj), वर्तमान लोकसभा के सदस्य एच वसंतकुमार (H. Vasanthakumar) और 13 पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के उपरांत सदन की कार्यवाही आरंभ होने के करीब 20 मिनट बाद एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई.
कोविड-19 महामारी की परिस्थिति के बीच सामाजिक दूरी और संबंधित दिशानिर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करते हुए सदन की कार्यवाही सुबह नौ बजे आरंभ हुई. सदन की बैठक आरंभ होने के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों को 'भारत रत्न मुखर्जी, पंडित जसराज, वसंत कुमार और 13 पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना दी. इसके बाद सभा ने कुछ पल मौन रखकर इन दिवंगत हस्तियों को श्रद्धांजलि दी. फिर बिरला ने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी.
पीएम मोदी का संदेश
संसद सत्र के शुरू होने से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संदेश भेजा जिसमें उन्होंने कहा कि संसद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर खड़े हमारे सैनिकों के पीछे एक स्वर और भाव में खड़ा है. हालांकि विपक्ष ने ये स्पष्ट कर चुका है कि वह भारत-चीन सीमा पर वर्तमान स्थिति के बारे में सरकार से विवरण चाहता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विश्वास जताया कि संसद एक स्वर में यह संदेश देगी कि वह हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों के साथ एकजुटता से खड़ी है. भारतीय संसद के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सत्र को आयोजित करने के लिए दोनों कक्षों को एकीकृत किया गया है. संसदीय मामलों के मंत्रालय के अनुसार, सत्र 18 दिनों की अवधि में फैले हुए कुल 18 बैठकें प्रदान करेगा (शनिवार और रविवार सहित सभी दिन, कार्य दिवस होंगे). 45 बिलों और 2 वित्तीय मदों सहित कुल 47 वस्तुओं की पहचान की गई है.
राज्यसभा में उपसभापति की चुनाव
बिहार बनाम बिहार लड़ाई आज संसद के मानसून सत्र के आयोजन के लिए निर्धारित है. और जब राज्य चुनाव बाद में कराए जाते हैं, तो यह प्रतियोगिता राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए होती है. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का एक समूह, राजद नेता मनोज झा, 53 वर्षीय पूर्व शिक्षाविद को अपना संयुक्त उम्मीदवार बना रहा है. और वह जेडी (यू) के एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. हरिवंश अपने पिछले कार्यकाल के खत्म होने तक आरएस के उपाध्यक्ष थे. वह तब से बिहार से फिर से चुने गए हैं. 245 सदस्यीय उच्च सदन में और जहाँ बहुमत का निशान 123 है, एनडीए के 101 सांसद हैं. AIADMK (9 सीटें), बीजेडी (9), टीआरएस (7), YSRCP (6) - पार्टियां, जिन्होंने अतीत एनडीए के साथ मतदान किया है - अन्य 31 सीटें जोड़ें. अगर उनमें से ज्यादातर ने पिछली बार की तरह वोट दिया तो हरिवंश फिर से कुर्सी पर आसीन होंगे. अपने सहयोगियों के साथ कांग्रेस के पास लगभग 65 सीटें हैं.
राज्यसभा के उपसभापति चुनने का नियम
भारत के संविधान के आर्टिकल 89 में कहा गया है कि राज्यसभा अपने एक सांसद को उपसभापति पद के लिए चुन सकता है, जब यह पद खाली हो। उपसभापति का पद इस्तीफा, पद से हटाए जाने या इस पद पर आसीन राज्यसभा सांसद का कार्यकाल खत्म होने के बाद खाली हो जाता है.
क्या है राज्यसभा के उपसभापति चुनने का नियम
राज्यसभा उपसभापति का चुनाव करने की प्रक्रिया बहुत ही सहज और सरल है. कोई भी राज्यसभा सांसद इस संवैधानिक पद के लिए अपने किसी साथी सांसद के नाम का प्रस्ताव आगे बढ़ा सकता है. इस प्रस्ताव पर किसी दूसरे सांसद का समर्थन भी जरूरी है. इसके साथ ही प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वाले सदस्य को सांसद द्वारा हस्ताक्षरित एक घोषणा प्रस्तुत करनी होती है जिनका नाम वह प्रस्तावित कर रहे हैं. निवार्चित होने पर वह उपसभापति के रूप में अपनी सेवाएं देने लगते हैं. प्रत्येक सांसद को केवल एक प्रस्ताव को आगे बढ़ाने या उसके समर्थन की अनुमति है. अगर किसी प्रस्ताव में एक से ज्यादा सांसद का नाम हैं तो इस स्थिति में सदन का बहुमत तय करेगा कि कौन राज्यसभा के उपसभापति के लिए चुना जाएगा. अगर सभी राजनीतिक दलों में किसी एक सांसद के नाम को लेकर आम सहमति बन जाती है, तो इस स्थिति में सांसद को सर्वसम्मति से राज्यसभा का उपसभापति चुन लिया जाएगा.
उपसभापति पद के लिए हुए अबतक के चुनाव
राज्यसभा उपसभापति पद के लिए अब तक कुल 19 बार चुनाव हुए हैं. इनमें से 14 मौकों पर सर्वसम्मति से इस पद के लिए उम्मीदवार को चुन लिया गया, मतलब चुनाव की नौबत ही नहीं आई. 1969 में पहली बार उपसभापति के पद के लिए चुनाव हुआ था. राज्यसभा उपसभापति को पूरी तरह से राज्यसभा के सांसद ही निवार्चित करते हैं. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पद है. उपसभापति को सभापति/उपराष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में राज्यसभा का संचालन करना होता है. इसके साथ ही तटस्था के साथ उच्च सदन की कार्यवाही को भी सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है.