विपक्ष के 17 सांसदों ने वेंकैया नायडू को लिखा पत्र, मोदी सरकार पर जल्दबाजी में बिल पास कराने का लगाया आरोप

मोदी सरकार पर संसद में बिना चर्चा के विधेयक पारित करने का आरोप विपक्षी दलों ने लगाया है. शुक्रवार को विपक्ष के 17 सांसदों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर सत्ताधारी बीजेपी की सरकार के रेवैये पर चिंता जताई है.

संसद (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: मोदी सरकार पर संसद में बिना चर्चा के विधेयक पारित करने का आरोप विपक्षी दलों ने लगाया है. शुक्रवार को विपक्ष के 17 सांसदों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर सत्ताधारी बीजेपी की सरकार के रेवैये पर चिंता जताई है. मौजूदा सत्र में मोदी सरकार ने कम से कम 35 विधेयकों को पारित करने का लक्ष्य रखा हुआ है.

सांसदों ने पत्र में सरकार द्वारा संसदीय स्थायी या चयन समितियों द्वारा बिना किसी जांच के विधायकों को जल्दबाजी में पारित करने के तरीके पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. गौरतलब हो कि राजनीतिक दलों द्वारा संसद की विभिन्न स्थायी समितियों के सदस्यों को नामित न किए जाने से नाराज राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने हाल ही में सभी पार्टियों को जल्द से जल्द संसदीय समितियों के लिए नाम भेजने की अपील की थी.

17वीं लोकसभा का पहला सत्र 17 जून को शुरू हुआ. इसकी शुरुआत सदस्यों के शपथ ग्रहण से हुई और इसका समापन 26 जुलाई को निर्धारित था. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को कहा कि संसद का मौजूदा सत्र 10 दिन और चलेगा क्योकि सरकार को विधेयकों को पारित करने का लक्ष्य हासिल करना है.

हाल ही में तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा था कि स्थायी समितियों द्वारा बहुत से विधेयकों की उचित तरीके से जांच नहीं की जा रही है, और सरकार ज्यादा से ज्यादा विधेयक मंजूरी के लिए ला रही है. सदस्य ने कहा कि सरकार ने अगले सप्ताह के लिए कार्य की सूची में नौ से ज्यादा विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, लेकिन इनमें से ज्यादातर की समीक्षा स्थायी समिति द्वारा नहीं की गई है.

गौरतलब हो कि 8 जुलाई को सरकार ने लोकसभा में एक घंटे के दौरान कुल आठ विधेयक पेश किए थे. विपक्षी दल सबसे ज्यादा नाराज सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 (आरटीआई) और मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 (ट्रिपल तलाक) लोकसभा में पास कराने से है. इन दोनों विधेयकों का विपक्ष जमकर विरोध कर रहा था, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने सदन में पास करवाया.

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