इस्लामाबाद: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारा (CPEC) मामले में दिलचस्प मोड़ आया है. नकदी संकट में फंसे पाकिस्तान ने अमेरिका को 60 अरब डॉलर की सीपीईसी परियोजना से जुड़ने का निमंत्रण दिया है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को ट्रंप सरकार संदेह की नजर से देखती है, क्योंकि उसका मानना है कि इसमें पारदर्शिता नहीं है. अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के वाणिज्य मामलों पर सलाहकार अब्दुल रज्जाक दाऊद ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने अमेरिकी के व्यापार मंत्री विलबर रॉस की अगुवाई वाले व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान यह पेशकश की. यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र: औरंगाबाद में MNS का पोस्टर- अवैध पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों की जानकारी देने पर मिलेगा 5000 का ईनाम
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिक एलिस वेल्स ने कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारा में कोई पारदर्शिता नहीं है और विश्वबैंक ने जिन कंपनियों को काली सूची में डाला है, उन्हें इसमें ठेके मिले हैं. इससे पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ पड़ेगा. रज्जाक ने कहा, ‘‘अमेरिका ने पाकिस्तान के ऊर्जा, तेल एवं गैस, कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण में रुचि दिखायी है.’’ चीन ने सीपीईसी के तहत पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जतायी है. इसके तहत चीन की कई विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने की योजना है.
भारत ने परियोजना का विरोध किया है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरती है.
प्रधानमंत्री इमरान खान और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने तथा आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिये हाल में हुई चर्चा के बाद अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पाकिस्तान की यात्रा पर आये. दाऊद ने बैठक का ब्योरा साझा करते हुए कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने ई-वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिये रुचि दिखायी है.