NSUI के राष्ट्रीय सचिव ने पीएचडी में दाखिले के लिए फर्जी मार्कशीट जमा कराई: डीयू अधिकारी
बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी के मुताबिक, कुमार ने 2017 में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लिया था और हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय की एमए (अंग्रेजी) की अंक तालिका जमा कराई थी.
नई दिल्ली: डूसू अध्यक्ष और एबीवीपी नेता अंकिव बसोया की कथित फर्जी डिग्री के विवाद के बीच सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के एक अधिकारी ने बताया कि बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग में दाखिला लेने के लिए एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव अक्षय कुमार ने कथित रूप से जाली दस्तावेज जमा कराए हैं. अधिकारी ने बताया कि विभाग ने पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों की डिग्रियां इस वर्ष जनवरी में सत्यापित कराई थीं जिसके बाद यह मामला प्रकाश में आया.
उन्होंने कहा कि 2010 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के संयुक्त सचिव चुने गए कुमार ने एमए (अंग्रेजी) की कथित रूप से फर्जी अंक तालिका (मार्कशीट) जमा कराई. उन्होंने बताया कि इस बाबत मौरिस नगर थाने में इस साल 16 मार्च को प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. यह भी पढ़े-JNUSU चुनाव 2018: ABVP को झटका, छात्रसंघ चुनाव में चारों पदों पर लहराया लेफ्ट का परचम
बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी के मुताबिक, कुमार ने 2017 में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लिया था और हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय की एमए (अंग्रेजी) की अंक तालिका जमा कराई थी.
विभाग ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि उनकी अंक तालिका को विश्वविद्यालय भेजा गया था जिसने इसे जारी करने से इनकार किया. अधिकारी ने कहा कि विभाग कुमार का मामला अब विभाग शोध समिति में उठाएगा और प्राथमिकी की प्रति, कथित फर्जी दस्तावेज के साथ दाखिला रद्द करने की अनुशंसा करेगा.
कांग्रेस से संबद्ध छात्र संगठन एनएसयूआई के अखिल भारतीय मीडिया एवं संचार प्रबंधक साइमन फारूकी ने कहा कि बसोया के मामले से ध्यान भटकाने के लिए यह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की चाल है.
फारूकी ने कहा, ‘‘ एबीवीपी (बसोया के) के वास्तविक मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए यह मुद्दे उठा रही है। अगर प्राथमिकी कुछ महीने पहले दर्ज की गई थी तो अब यह क्यों उठाया जा रहा है? अगर (कुमार की फर्जी डिग्री) का मामला हमारे संज्ञान में आता है तो मामले को देखने के लिए एक जांच समिति गठित करेंगे.’’
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को बसोया के मामले पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए था. एनएसयूआई के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि विभाग ने बिना उचित सत्यापन के ही प्राथमिकी दर्ज करा दी है। इसलिए पुलिस ने कुमार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.