MP Cabinet Passes Religious Freedom Bill 2020: शिवराज सरकार ने जिहाद के खिलाफ कानून को दी मंजूरी, हो सकती है 10 साल की सजा
मध्य प्रदेश में 'धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020' (Freedom of Religion Bill 2020) को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक आयोजित, बैठक में कैबिनेट ने धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 पास किया गया. जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, हम मध्य प्रदेश में जबरन धर्मांतरण नहीं होने देंगे. नए बिल के तहत, जो भी ऐसा करेगा उसे 10 साल की जेल की सजा और न्यूनतम 50,000 रुपये का जुर्माना होगा. कई घटनाएं सामने आईं जहां पंचायत चुनाव लड़ने के लिए नाबालिग लड़कियों को धर्मांतरित किया गया, शादी की गई और बनाया गया.
भोपाल:- मध्य प्रदेश में 'धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020' (Freedom of Religion Bill 2020) को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक आयोजित, बैठक में कैबिनेट ने धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 पास किया गया. जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, हम मध्य प्रदेश में जबरन धर्मांतरण नहीं होने देंगे. नए बिल के तहत, जो भी ऐसा करेगा उसे 10 साल की जेल की सजा और न्यूनतम 50,000 रुपये का जुर्माना होगा. कई घटनाएं सामने आईं जहां पंचायत चुनाव लड़ने के लिए नाबालिग लड़कियों को धर्मांतरित किया गया, शादी की गई और बनाया गया.
मध्य प्रदेश विधानसभा के 28 दिसंबर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में पेश बिल को किया जाएगा. इस कानून के तहत लव जिहाद केस में अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है. मध्य प्रदेश गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि विधेयक में किसी भी व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 1-5 वर्ष का कारावास और 25,000 का जुर्माना लगाने का प्रावधान है और नाबालिग, महिला, SC, ST का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 2-10 वर्ष का कारावास और 50,000 का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
ANI का ट्वीट:-
इसके अलावा इस विधेयक के मुताबिक, आरोपी को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा कि शादी बगैर किसी दबाव, धमकी, लालच या फिर बहला-फुसलाकर की है. इस अधिनियम में कार्रवाई के लिए धर्मान्तरण के लिए बाध्य किए गये पीड़ित व्यक्ति अथवा उसके माता-पिता अथवा भाई-बहन अथवा अभिभावक शिकायत कर सकते हैं.
धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के एक माह पहले जिला दंडाधिकारी (कलेक्टर) को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत कर अनुमति लेगी होगी. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को ‘डोनेशन’ देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा.