एम. के स्टालिन को मिली करुणानिधि की विरासत, संभाली DMK की कमान

49 साल बाद डीएमके की सियासत में नेतृत्व बदलाव हुआ है. एम. करुणानिधि के निधन के बाद उनके बेटे एम. के स्टालिन को अध्यक्ष चुन लिया गया. इसके साथ ही वरिष्ठ नेता दुराईमुरुगन को निर्विरोध पार्टी का कोषाध्यक्ष चुना गया.

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चेन्नई: मंगलवार को तमिलनाडु कि राजनीति में बड़ा परिवर्तन आया. 49 साल बाद डीएमके की सियासत में नेतृत्व बदलाव हुआ है. एम. करुणानिधि के निधन के बाद उनके बेटे एम. के स्टालिन को अध्यक्ष चुन लिया गया. स्टालिन के लिए यह वाकई बहुत चुनौती पूर्ण था क्यों कि उनके अपने बड़े भाई एम. के. अलागिरि उनके विरोध में थे. पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक में स्टालिन को निर्विरोध डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) का अध्यक्ष चुना गया. स्टालिन (65) डीएमके के दूसरे अध्यक्ष हैं.

यह पद उनके पिता व पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम.करुणानिधि के निधन से खाली हुआ था. दिवंगत एम. करुणानिधि पार्टी के अध्यक्ष के पद पर 49 सालों तक बने रहे. करुणानिधि का 7 अगस्त 2018 के निधन हो गया था. वहीं डीएमके के महासचिव के.अंबाझगन ने कहा कि पार्टी के 1,307 अधिकारियों ने स्टालिन की उम्मीदवारी का समर्थन किया, इसके साथ ही वरिष्ठ नेता दुराईमुरुगन को निर्विरोध पार्टी का कोषाध्यक्ष चुना गया.

एम करूणानिधि पहले ही कर चुके थे उत्तराधिकारी की घोषणा 

स्टालिन करुणानिधि के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के तौर पर शुरू से ही देखे जा रहे थे क्योंकि अपने जीवनकाल में ही करूणानिधि ने कह दिया था कि उनके बेटे स्टालिन ने पार्टी में नंबर दो की हैसियत प्राप्त करने के लिए मेहनत से काम किया. एक तमिल साप्ताहिक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में दिवंगत नेता करूणानिधि ने कहा था कि स्टालिन ने कई कुर्बानियां दी हैं जैसे कि आपातकाल के दौरान वह जेल गए थे.

कौन हैं एम.के. स्टालिन

एम.के. स्टालिन का पूरा नाम मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन है. वे तमिलनाडु के मशहूर राजनेता डीएमके प्रमुख करुणानिधि के तीसरे बेटे और उनकी दूसरी पत्नी श्रीमती दयालु अम्मल की संतान हैं. उनका राजनीतिक करियर 14 वर्ष की आयु में 1967 के चुनावों में प्रचार के साथ शुरू हुआ था. स्टालिन सबसे पहले उस समय सुर्खियों में आए जब उन्हें आपातकाल का विरोध करने के लिए आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत जेल में बंद कर दिया गया था. स्टालिन 2006 के विधानसभा चुनावों के बाद तमिलनाडु सरकार में ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन मंत्री बने.  29 मई 2009 को स्टालिन को राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला द्वारा तमिलनाडु के उप-मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया गया था.

अलागिरी से विवाद

स्टालिन की राजनीति के सबसे बड़े दुश्मन उनके भाई अलागिरी ही रहे. उनका अपने बड़े भाई अलागिरी से विवाद हमेशा सुर्ख़ियों में रहा. बता दें कि एम. के.अलागिरि को स्टालिन के नेतृत्व का विरोध करने के कारण और पार्टी विरोधी कार्य में लिप्त रहने के लिए उनके पिता एम करूणानिधि ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था.

एम करुणानिधि के निधन के छह दिनों बाद उनके बड़े बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमके अलागिरी ने कहा था कि उनके पिता के सच्चे वफादार उनके साथ हैं पर उनके भाई एमके स्टालिन एक खराब नेता हैं. अलागिरी ने मरीना बीच पर अपने पिता के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने कई बार पिता को पार्टी के बारे में अपनी व्यथा से अवगत कराया था.

अलागिरी ने 5 सितंबर को एक बड़ी रैली बुलाई है. इस रैली के साथ ही वह अपनी भविष्य की रणनीति का ऐलान कर सकते हैं. अलागिरी अगर नई पार्टी बनाते हैं तो उन्हें स्टालिन के विरोधियों का साथ मिल सकता है.

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