PM Narendra Modi, Mann Ki Baat: आज के युवा भगत सिंह कैसे बन सकते हैं? सवाल का पीएम मोदी ने दिया जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के दौरान शहीद वीर भगत सिंह की जयंती पर भी चर्चा की. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नमो ऐप पर हैदराबाद के अजय कुमार के किए सवाल का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होने पूछा था कि आज के युवा कैसे भगत सिंह बन सकते हैं?
नई दिल्ली, 27 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के दौरान शहीद वीर भगत सिंह की जयंती पर भी चर्चा की. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नमो ऐप पर हैदराबाद के अजय कुमार के किए सवाल का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होने पूछा था कि आज के युवा कैसे भगत सिंह बन सकते हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देखिए, हम भगत सिंह बन पाएं या न बन पाएं, लेकिन भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिए कुछ कर-गुजरने का जज्बा, जरूर, हम सबके दिलों में हो. शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कल, 28 सितंबर को हम शहीद वीर भगत सिंह की जयंती मनाएंगे. क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बार में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता. इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गई थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने भगत सिंह के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि 1919 का साल था. अंग्रेजी हुकूमत ने जलियांवाला बाग में कत्लेआम किया था. इस नरसंहार के बाद एक 12 साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया. वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है? वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था. उसी जलियांवाला बाग में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ने की कसम खाई. वह मासूम कोई और नहीं शहीद वीर भगत सिंह थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहीद भगत सिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिंतक भी थे. अपने जीवन की चिंता किए बगैर भगत सिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा. शहीद वीर भगत सिंह के जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वे टीम वर्क के महत्व को बखूबी समझते थे. लाला लाजपत राय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव, उनके लिए कभी व्यक्तिगत गौरव, महत्वपूर्ण नहीं रहा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, वे जब तक जिए, सिर्फ एक मिशन के लिए जिए और उसी के लिए उन्होंने अपना बलिदान कर दिया. वह मिशन था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना.